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रविवार, 6 अक्टूबर 2019

रचना महेन्द्र देवांगन माटी:: जय अंम्बे म









जय अम्बे जगदंबे माता , लाली चुनरी लाया हूँ ।
भर दे झोली मेरी माता,  शरण आपकी आया हूँ ।।

दुष्टों का संहार करे माँ , अष्ट भुजी कहलाती है ।
कोई तुझे पुकारे दिल से , पल में ही आ जाती है ।।

भक्त जनों की रक्षा खातिर,  धरती में तू आती है ।
सबके संकट हरती माता  , नव नव रूप दिखाती है।।

जो भी आये द्वार तुम्हारे  , खाली हाथ न जाता है ।
पूजे जो भी सच्चे दिल से,  मनवांच्छित फल पाता है ।।




                        महेन्द्र देवांगन माटी
                        पंडरिया छत्तीसगढ़
                        8602407353

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