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शुक्रवार, 6 मार्च 2020

लक्ष्य (लघुकथा) : प्रिया देवांगन प्रियू की रचना






एक गाँव मे एक गरीब बालक रहता था ।उसका नाम वैभव था। वैभव के माता -पिता बहुत गरीब थे।माँ दूसरो के घर बर्तन साफ करने का काम करती थीऔर पिता जी सब्जी बेचते थे।
वैभव बचपन से ही होशियार था ।  उसका लक्ष्य था कि वह बड़ा होकर सैनिक बने और देश की रक्षा करे। उसकी माँ ने अपने बच्चे के लिये बर्तन साफ करके तथा पिता ने सब्जी बेचकर वैभव को पढ़ाया - लिखाया।. वैभव अपने घर की गरीबी को देख कर अपने माता - पिता से अपने लक्ष्य के बारे में कुछ कह नही पाता था।  वैभव स्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के बाद कॉलेज के साथ - साथ अपने पिता जी के साथ सब्जी बेचने जाता था तथा धन इकट्ठा करता था।. धन इकट्ठा करने के बाद वैभव दिल्ली गया और वहाँ  अपनी अथक पढ़ाई और  कड़ी मेहनत के बल पर सैनिक  बनकर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।।





प्रिया देवांगन *प्रियू*
पंडरिया (कबीरधाम) 
छत्तीसगढ़ 

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