रक्षा खातिर देश के, छोड़े घर अरु द्वार।
जान हथेली पर रखे, बिछड़ गए परिवार।।
बहती आँखे नीर है, बिछड़े बेटा आज।
खून पसीना एक कर, रखते माँ की लाज।।
चलते हैं अंगार पर, ले बन्दूकें हाथ।
है भारत के शेर ये, नहीं झुकाते माथ।।
गर्मी सर्दी ठंड हो, चाहे हो बरसात।
रहते सीमा पर खड़े, कैसी हो हालात।।
भारत माँ के वीर जब, चलते सीना तान।
आतंकी को मारते, मिले उसे सम्मान।।
रचनाकार
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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