करतब करती रोज के , देखे सब हैरान ।
चल जाती है डोर पर , नन्ही सी है जान ।।
नन्ही सी है जान , खूब वह नाचा करती ।
चढ़ती ऊँचे बाँस , नहीं वह फिर भी डरती ।।
देते पैसे लोग , उसी से राशन भरती ।
पैसे खातिर देख , रोज वह करतब करती ।।
महेंद्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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