एक गरीब मछुवारा नदी मे जाल डाल कर रोज मछलियों को पकड़ता था और फिर उन मछलियों को बेच कर वह अपना और अपनी पत्नी तथा बच्चो का जीवन पालता था . एक दिन वह मछलियों का जाल जब पानी से बाहर निकाल रहा था तब उसने एक आवाज सुनी। उसने इधर उधर देखा तो कोई भी दिखाई नहीं पड़ा । आवाज थी कि बस आये जारही थी । उसने ध्यान से देखा तो पकडी हुई मछलियों मे एक सुनहरी मछली ही बोले जा रही है कि मुझको मत पकड़ो पानी मे वापस डाल दो । मछुवारे ने कहा , अरे मै वापस क्यो डाल दूँ ? तुम सुनहरी मछली हो मै तुमको बेचूगा तब मुझे कुछ और पैसे मिल जाऐंगे। मछली बोली मै मछलियों की राजकुमारी हूँ ,तुम जब जो सामान भी चाहोगे वह तुम्हें मिलेगा। अच्छा मुझे बहुत भूख लगी है मुझे खाना चाहिये मछुवारे ने कहा । उसके मुँह से बात पूरी भी नहीं हुई थी कि उसके सामने थाल भर के खाना आ गया. गरम गरम पूरी सब्जी खीर मिठाई फल तथा और भी बहुत कुछ आ गया था। मछली बोली अब तो छोड़ दो, तुम जब बोलोगे कि सोन मछरिया आओ अपना प्यारामुख दिखलाओ , तब मै झटपट आ जाउगी और आप की इच्छा की पूर्ति हो जायगी. मछुवारा खुश हो गया.
मछुवारा बाकी मछलियों को बेच कर शाम को अपने घर पहुँचा त्रब उसने अपनी पत्नी को सोनमछली की बात बताई . मछुवारी की औरत बोली तुमने अकेले अकेले खा लिया और मछली को जाने दिया । उस मछली ने तुम्हे खूब बुद्धू बनाया है। वह फिर बोली कि अच्छा जैसा उसने कहा वैसे ही तुम कह कर कल उसे फिर बुलाओ और हम सबके लिये खाना यहीं मंगवाओ।
मछुवारा रोज की तरह नदी पर मछलियाँ पकड़ने गया. उसने जाल डाल दिया तभी उसे अपनी स्त्री की बात याद आ गयी। उसने आवाज लगाई ‘ सोन मछरिया आओ अपना प्यारा मुख दिखलाओ’ . उसका यह कहना ही था कि सुनहरी मछली आ गई और बोली बताओ तुम्हे क्या चाहिये मेरे दोस्त ? मछुवारे ने तुरन्त अपने और पूरे घर के लिये खाना माँग लिया। उसका खाना आ गया, उसने खा लिया और शाम को वह जब घर पहुँचा तब उसने अप्नी पत्नी से पूछा खाना आया था क्या ? तब उसकी पत्नी ने बतया कि खाना तो बहुत अच्छा था अब कल तुम उससे हम सबक़े लिये नये कपडे और मेरे गहने तथा धन माँग लेना।
दूसरे दिन नदी पर फिर आवाज लगाई और सोन मछली के सामने अपनी बीबी की इच्छा बताई. तुरंत उसने देखा किं उसके पुराने कपड़े गायब हो गये और वह सूट बूट टाई हैट को पहने खड़ा है पाकेट मे उसके पर्स जिसमे बहुत सारे रुपये और ए टी एम कार्ड हाथ की कलाई घड़ी बंधी हुई थी।. वह जाल को वापस खींच घर पहुँचा. उसने घर मे देखा घर मे उसकी पत्नी एक मेम साहिबा की तरह खूब बढ़िया साड़ी पहने काला चश्मा लगाए खड़ी हैं पास मे उसके बच्चे भी नये कपडे पहने खडे है। पत्नी के शरीर पर ढ़ेर सारे सोने के गहने लदे है। यह देख वह बहुत खुश होरहा था. तब उसकी स्त्री बोली ज्यादा खुश होने की बात नहीं है मै तो इस चिन्ता मे हूँ कि यह सब सामान रखने के लिये कोई अलमारी इत्यादि नहीं फिर तुम्हारी टूटे टाटे घर मे ! कोई यह सब चोरी कर के ले गया तब क्या होगा।
मछुवारा नदी के पास फिर पहुँच कर आवाज लगाई ‘सोन मछरिया आओ अपना प्यारा मुख दिखलाओ. सोन मछली आ गई और बोली अब क्या चाहिये मेरे दोस्त. मछुवारे ने अपनी पत्नी की बात बताई तब मछली ने कहा तुम्हे बार बार ़तकलीफ करने की आवश्यकता नहीं है मैं तुम्हे सब सामान दे देती हूँ . मछुवारे ने घर पहुँच कर देखा तो उसे अपना घर कहीं है ही नहीं उसकी जगह एक बड़ा तीन मंजिला मकान खड़ा है वह रोने लगा मेरा घर कहाँ गया . उसकी बीबी छत पर खडी थी उसने कहा रोने की जरूरत नहीं है खुश होने का टाइम है यह तुम्हारा ही घर है अन्दर आ जाओ. उसने देखा कि घर मे अलमारियाँ फ्रिज टीवी कम्प्यूटर सोफा बेड, ऐसी, टेली फोन और बड़ी सी कार सभी कुछ है . उसने अपनी पत्नी से पूछा अब तो खुश हो ना.
पत्नी ने सब चीजे देखी फिर बोली खुश तो हूँ पर सोचती हूँ कि यदि कोई दूसरा ऐसी मछली को पकड़कर ले जाने से पहले तुम उस सोन मछली को पकड़ कर ले आओ । हम उसे सोने के टब मे रखेंगे और उसकी बहुत हिफाजत करेंगे.। बाद मे फिर कभी कोई चीज की जरूरत होगी तब उससे माँग लेगे। मछुवारा फिर नदी पर गया और उसने आवाज लगाई । सोन मछली जब आई तब मछुवारा उसे पकड़ने को झपटा. सोन मछली झटपट दूर हो गई उसने मछुवारे के मन की बात पढ़ ली और बोली जाओ तुम लोग बड़े लालची हो तुम्हे कुछ नहीं मिलेगा । मछुवारे ने देखा कि उसका सूट बूट टाई घर पैसा जेवर इत्यादि सब चला गया। . उसने वापस लौटकर अपनी पत्नी से कहा ज्यादा लालच करने का फल । लालच करने से सब चला गया ।
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