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सोमवार, 6 दिसंबर 2021

"किसान" प्रिया देवांगन "प्रियू" की रचना



सुबह-सुबह हर रोज, खेत में मैं हूँ जाता।
करता दिनभर काम, शाम को वापस आता।।
खातू कचरा फेंक, और फिर साफ सफाई।
लेकर फसलें बीज, धान की भी बोवाई।।

अच्छी मिट्टी देख, सभी फसलें मुस्काते।
नये-नये से धान, निकल कर उसमें आते।।
गर्मी सर्दी धूप, पसीना माथ बहाता।
करता मेहनत रोज, बैठ कर तब हूँ खाता।।

नागर बख्खर साथ, हाथ में उसको पकड़ूँ।
साधारण इंसान, किसी से मैं नही  झगड़ूँ।।
पालन पोषण आज, घरों की कर रखवाली।
मैं हूँ एक किसान, और अपना ही माली




प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com

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