राम अयोध्या,कृष्ण वृंदावन,और सदाशिव काशी,
गंगा,यमुना,सरस्वती,सतलुज,सिंधु के हम वासी।
वेद,बुद्ध,गांधी मेरे जीवन में
बसते हैं,
ज्ञान-विज्ञान की खरी शिला पर
दुनिया को रचते हैं।
वसुधैव कुटुम्बकम संदेश हमारा आओ ,मिलजुल कर रहते हैं।
सदा हमारे हाथ कर्मरत
सबका अभिनंदन करते हैं
हम सब हैं भारतवासी,
जो अविनाशी रचते हैं।
डाॅ प्रभास्क पाठक
राँची झारखंड
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