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सोमवार, 6 दिसंबर 2021

हमारे बुजुर्ग आलेख शरद कुमार श्रीवास्तव




दादा दादी, नाना नानी परिवार की शान है । अपने प्यार से रिश्तों को सींचने वाले इन बुजुगों का प्रत्येक घर में विशेष स्थान है । अपने बच्चों की खातिर अपना जीवन दाँव पर लगा चुके  बुजुर्ग अब भी परिवार की जरूरत हैं यह बात हममे से बहुत कम लोग ही समझ पाते है।   कहीं जाना आना हो तो इनके भरोसे निश्चिंत होकर जाइये।  काम वाली, प्रेस वाला, सब्जी भाजी, दूध का काम सुचारू रूप से चलता रहता है।. बच्चे स्कूल से लौटने पर उनकी देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित रहती है।  दादी नानी तो घर के काफी काम कर देती हैं अचार चटनी बनाना फल सब्जी काटना प्रायः इनके ही जिम्मे रहता है।  दादा या नाना की घर मे उपस्थिति ही यथेष्ट है ।

दिलचस्प  बात  यह  भी है कि बच्चो से इनकी मित्रता होती है ।    बच्चो के साथ  ये स्वयं भी बच्चे बन जाते हैं।   छोटे बच्चो के स्कूलों मे दादी बाबा, नानी  नाना को बच्चों के साथ  अपने जीवन  काल  के अनुभवों से मिलने वाली सीख  को साझा करने और बच्चों को अच्छी अच्छी बाते बताने के लिए  आमंत्रित  भी किया जाता है


शरद कुमार श्रीवास्तव 


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