बगला भैया, कहाँ जा रहे
ओढ़ सुनहरी चादर
भोलेपन पर सभी आपका
दिल से करते आदर।
मछली बोली भक्त शिरोमणि
मेरी भी सुन लीजे
सबकी नैया पार लगाने
बस चुनाव लड़ लीजे।
घर-घर जाकर मत देने की
विनती करनी होगी
उल्लू दादा की चौखट पर
नाक रगड़नी होगी।
श्रमका फल मीठा होता है
हर कोई कहता है
छीन-झपट करने वाला तो
भूखा ही रहता है।
कंठी-माला के निशान पर
सबकी छाप लगेगी
औरआपकी खोटी किस्मत
निश्चित ही चमकेगी।
मछली देख स्वयं बगले के
आया मुख में पानी
एक झपट्टे में मछली की
कर दी खत्म कहानी।
बच्चों, नेक राय दुष्टों को
कभी नहीं भाती है
सच्चे लोगों की असमय ही
जान चली जाती है।
वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"
मुरादाबाद/उ.प्र.
9719275453
---------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें