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- क्रिसमस की छुट्टी मनाओ ...
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दिसंबर
(22)
सोमवार, 26 दिसंबर 2016
अखिलेश चन्द्र श्रीवास्तव की रचना
अखिलेश चन्द्र श्रीवास्तव की प्रस्तुति
गोलू बहुत तैय्यारी से क्रिकेट की किट लेकर
सफ़ेद ड्रेस पहिन कर उत्साह से घर से गया
था। आज उसके स्कूल का मैच नेशनल स्कूल
से था उसे इस मैच को लेकर बड़ा उत्साह था।
खेल के मैदान पर पहुँच कर उसे पता चला
कि दोनों टीमों के काफी सदस्य सर्दी जुकाम
बुखार आदि से पीड़ित हो गये हैं अतः मैच रद्द हो गया है।
उसका सारा उत्साह ठण्डा हो गया और घर पहुँचने पर
किट एक ओर फेंक दुःखी होकर सोफे पर बैठ गया ।
मम्मी ने देखा तो पास आकर पूछा, क्या हुआ बेटा ?
आप इतनी जल्दी कैसे आ गये और मूड क्यों
ख़राब है ? गोलू जी बोले, दोनों टीमो के बच्चे बीमार है
अतः मैच रद्द हो गया।
मम्मी के पूछने से गोलू ने बताया उन बच्चों ने
स्कूल के बाहर गन्दी चाट खायी थी और छोटी
छुट्टी (अवकाश ) में बरसते पानी में खेले भी थे।
वे लोग टिफिन खाने से पहले साबुन से
अच्छे से हाथ भी नहीं धोते है। अब बात मम्मी जी
की समझ में आ गयी थी। उन्होंने गोलू जी की
खूब तारीफ की और उनको खूब प्यार किया
क्योकि गोलूजी ने बाकी बच्चों की तरह गन्दे काम
नहीं किये थे और अपनी मम्मी का कहना माना था।
अखिलेश चन्द्र श्रीवास्तव की प्रस्तुति
यशिता गुप्ता का बालगीत
शादाब आलम का बालगीत
सच-सच बोलें
जब मुंह खोलें सच-सच बोलें
भैया चुन्नीलाल
उनके आगे कभी झूठ की
गलती है ना दाल।
वह कहतें हैं, झूठ बोलकर
रहता सदा मलाल
सच कह देने पर अपना मन
हो जाता खुशहाल।
शादाब आलम
क्रिसमस की छुट्टी मनाओ
आओ दोस्त आओ, आओ मित्र आओ,
सल्लू आओ बिल्लू आओ, मीना आओ टीना आओ,
क्रिसमस की छुट्टी मनाओ, सांता क्लाज से गिफ्ट पाओ
मुन्नु आओ रिंकू आओ, रीना आओ गीता आओ,
क्रिसमस ट्री लगाओ, लाइट से उसे सजाओ
गप्पू आओ पप्पू आओ, रेखा आओ वीरा आओ,
दूध पीओ केक खाओ, चाय पीओ टोस्ट खाओ
विमला आओ कमला आओ, पिंकू आओ टिंकू आओ,
खेलो कूदो धूम मचाओ, नाचो गाओ मस्त हो जाओ
मोशु आओ बाबू आओ, पिंकी आओ रिंकी आओ
आओ दोस्त आओ, आओ मित्र आओ
क्रिसमस की छुट्टी मनाओ
उपासना बेहार
ई मेल –upasana2006@gmail.com
महेन्द्र देवांगन का बालगीत

बालगीत रचना कौशल किशोर
मौसम के रंग
मौसम ने कुछ दिन मे ज्यादा ही धूप दिखाई है और रात मे ठंड बढ़ाई है
इसी को कहते है मौसम की अगड़ाई
शरद ऋतु धीरे धीरे आई है।
गाजर का हलुआ गज़क मक्खन मलाई
देखो भाई शरद ऋतु आई।
मुगफली बदाम गुड की पट्टी भी साथ लाई
बच्चों के लिए शीतकलिक छुटियो की सौगात लाई है। यही है खाने का मौसम बाजरा मक्का की रोटी की खुमार छाई
देखो शरद ऋतु आई है।
कौशल किशोर
प्रिया देवांगन "प्रियू" का बालगीत
बालिका की अभिलाषा
काश मैं एक पंछी होती,
मस्त गगन मे उड़ जाती ।
ताजा ताजा फल खाती,
सबको मीठी गीत सुनाती ।
जग की पूरी सैर करती,
नये नये दोस्त बनाती ।
नदी झील की पानी पीती,
वन उपवन में घूम आती ।
सुबह से उठ कर मैं चहचहाती,
मीठी नींद से सबको जगाती ।
सबके मन मे जगह बनाती,
जीवन मे खुशियाँ मैं लाती ।
उड़ कर अपनी मंजिल पाती,
हर मंजिल मैं उड़कर जाती ।
फल फूल मैं खूब खाती,
बच्चों के पास आ जाती ।
काश मैं एक पंछी होती,
मस्त गगन में उड़ पाती ।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला -- कबीरधाम ( छ ग )
Email -- priyadewangan1997@gmail.com
शनिवार, 24 दिसंबर 2016
शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016
शरद कुमार श्रीवास्तव की बालकथा
प्रिंसेज डॉल और चूजा
सुबह सुबह प्रिन्सेज डाल को लगा कि बालकनी से उसे कोई पुकार रहा है । वह बालकनी में आयी और जब उसने इधर उधर देखा , तो उसे कोई नहीं दिखा । फिर बहुत धीमी एक आवाज आयीं प्रिन्सेज डाल बिलेटेड हैप्पी बर्थडे । इस बार प्रिन्सेज डाल ने ध्यान से देखा । बालकनी के गमले पर कबूतर का छोटा सा चूजा उसे बधाई दे रहा है । वह चूजा बोला कि तुमने मुझे नहीं बुलाया लेकिन मैंने यहीं से तुम्हारा जन्मदिन देख लिया था । खूब रौनक थी। जन्मदिन पर तुम्हारे घर तुम जैसे तो बहुत बच्चे आये थे । प्रिन्से ज डाल बोली हाँ रूपम डाल, अनुश्री, गायत्री, वसुधा, सुयश सहित मेरे क्लास के बहुत सारे बच्चे आये थे । आशी, शौर्य और चीबू भैया भी आये थे । मेरे बाबा.दादी जी मौसी जी भी मौसा जी के साथ आए थे । पता है ! अब मै छह साल की हो गई हूँ । अब मै एक साल बड़ी हो गई हूँ
चूजा बोला लेकिन तुम्हारे जन्मदिन पर रिदम नहीं आया था? प्रिन्सेज डाल ने उससे पूछा कि ये रिदम कौन है ? मैं तो उसे नहीं जानती हूँ । कौन है वह और तुम उसे कैसे जानते हो। चूजे ने प्रिन्सेज डाल को बताया कि अरे वही जो बूजो के साथ खेलता है और जिसके साथ बूजो ( कुत्ते के बच्चे का नाम ) रहता है । मैं भी तो उसको नहीं जानता हूं लेकिन मेरी मम्मी ने मुझे बताया था । वो तो उड़ कर सब जगह जाती रहती हैं और सबको पहचानती हैं । प्रिन्सेज डाल बोली मैं उसे जानती हूँ पर उसका नाम कभी नही पूछा है ।
प्रिन्सेज डाल फिर बोली ' पता है कि मेरे जन्मदिन पर छह स्टोरी वाला केक आया था । अब मै छह साल की हो गई हूँ इसलिए । पहले तो हम सब बच्चे अपने आप खूब खेले । कोल्ड ड्रिंक्स और चिप्स टाफी बिस्कुट खूब खाया । फिर हमें मजेदार खेल खिलाने एक और अंकल आये थे । हम सबने खूब मजा किया था । उन अंकल ने हमें प्राइज भी दिया । सबसे ज्यादा तो आशी और सुयश ने प्राइज पाये थे। दादी बाबा और नाना जी के आ जाने से बहुत अच्छा लग रहा था । हम लोगों ने खूब डान्स भी किया था। इसके बाद मैंने केक काटा था । सब लोगों ने हैप्पी बर्थडे वाला गाना गाया था । मुझे खूब गिफ्ट्स मिले और हमने भी सभी बच्चों को रिटर्न गिफ्ट्स भी दिये । सचमुच बहुत मजा आया
शरद कुमार श्रीवास्तव
प्रभास्क पाठक का बालगीत
किट्टू का ब्यूटी पार्लर
किट्टू गये बाजार में अपनी मम्मी के संग ,
मम्मी को ब्यूटी पार्लर में देख हुए वे दंग ,
बड़े अनोखे आँखों से वे देखें सारे रंग ,
ब्युटीशियन के संग में पढ़ गये सारे ढंग !
वापस घर में आये किट्टू पहुँचे दादा पास ,
फिर दादा को ले बैठाया कुर्सी पर सायास ,
चुपड़ दिया गालों पर उनके सारे जेली क्रीम,
दबा दाँत के बीच धागे से लगे खींचने क्रीम !
किट्टू जब संतुष्ट हुए तब ही दादा को छोड़ा ,
दिखा आइना बोला उनको दादा सुंदर शोणा,
अब भौहें मैं ठीक करूँगा बैठो चुप हिलो ना,
किट्टू करतब करें सलोने दादा बने खिलौना !
डॉ प्रभास्क पाठक
राँचीझारखंड
अंजू जैन गुप्ता की बालकथा
झूठ की हार
रामपुर नाम के गांव में किशन नाम का एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था । उसकी पत्नी का नाम सुनैना था और बेटे का नाम रोमी था जो अब विवाह के लायक हो गया था । किशन मेहनती और इमानदार था । वह रोज खेत जाता था और मेहनत से काम कर के फसल उगाता था । फसल जब तैयार हो जाती थी तो शहर जाकर बेच आता था और इस तरह वह अपने परिवार का गुजारा चलाता था ।
कुछ दिनों के बाद उसकी पत्नी सुनना ने कहा " अजी सुनते हो अब अपना बेटा शादी लायक हो गया है । उसकी शादी के लिए हमें लडकी देखनी चाहिए । इस पर रामू बोला कि हाँ तुम ठीक कहती हो कल ही मैं शहर जाकर अपने मित्र रामू से रोमी की शादी की बात करता हूँ । रामू की एक गुणी और सुशील बेटी है उसके लिए अपने बेटे की शादी की बात करता हूँ । लेकिन एक परेशानी की बात है कि अपना रोमी कुछ नहीं कर रहा है । उसी समय रोनी सामने आ गया । उसने पूछा कि क्या बात है । किशन ने कहा कि तुम्हारी माँ तुम्हारी शादी की बात कर रहीं थीं । यह सुनकर रोनी खुशी से उछल पड़ा । इस पर किशन ने कहा कि लेकिन परेशानी की बात यह है कि तुम कुछ करते नहीं हो। पहले तुम इस काबिल बन जाओ कि अपना और अपनी पत्नी और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सको। रोमी बोला कि यह बात है तो कल से मै आपके साथ चल कर खेतों में काम करूंगा । यह सुनकर किशन और सुनैना खुश हो गए । कुछ दिनो के बाद रोमी का विवाह भी हो गया ।
रोमी की शादी के कुछ दिनों के बाद ही किशन बीमार हो गया । अब रोमी अकेले ही खेतों में काम करने के लिये जाता था । रोमी अपने पिता की तरह सच्चा और ईमानदार नहीं था । वह खेतों में जाता और जब फसल पक जाती थी तब बिना किसी को कुछ कहे रातों रात फसल को
काटकर वह शहर में बेच आता था और उन पैसों को खा पी कर उड़ा देता था। फिर पैसे ख़तम होने पर उदास होकर खेतो के बाहर बैठ कर रोने लगता था। रो- रो कर वह कहने लगता था कि मेरी सारी फसल नष्ट हो गई , जानवरों ने मेरी सारी फसल तहस नहस कर दिया है अब मैं परिवार का खर्चा कैसे उठाऊंगा। यह देखकर गांववाले उस पर दया दिखाकर पैसे और सामान दे जाते थे, जिसे ले कर वह अपने घर जाता था। अब वह हर बार ऐसे ही करने लगा। . अपनी फसल के पैसे तो वह उड़ा देता था और गाँव वालों के दया के पैसे और सामान लेकर वः घर जाता था। परंतु इस बार गाँव के गांव के मुखिया ने रोमी को फसल बेचते देख लिया था और उसने गांव वालों को रोनी के सब गांववासियों को उल्लू बनाने की योजना के बारे बताया। यह सुनकर गाँव वाले नाराज हो गए । अगली बार जब फसल तैयार हुई तो जानवरों ने रोनी की फसल को पूरी तरह तहस नहस कर दिया। जब रोनी फसल काटने के लिए खेत में गया तो तो तहस नहस फसल देखकर वह जोर से रोने लगा। परंतु इस बार उसकी मदद के लिए कोई नहीं आया। . उसके पास पैसे भी नहीं बचे थे . फिर वह रुखा सूखा खा कर नई फसल का इंतज़ार करने लगा। उसके घर में खाने के लिए कुछ नहीं था तब किशन के परिवार की दयनीय स्थिति देख कर गांव का मुखिया, किशन के घर आया और उसने रोमी से मुलाकात पर यह बताया कि उसने रोमी को फसल बेचते हुए देख लिया था और गांव वालों को बता दिया था . तभी इस बार तुम्हारे ऊपर मुसीबत आने पर कोई तुम्हारे साथ नहीं आया। यह सुनकर रोमी नहुत शर्मिन्दा हुआ और उसने कहा कि अब वह हमेशा मेहनत और ईमानदारी से काम करेगा और झूठ नहीं बोलेगा । इस आश्वासन झूठएअ मुखिया जी ने जाते जाते उसकी मदद के लिए कुछ पैसे दिए जिसे रोमी ने कहा की वह समय पर लौटा देगा।
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अंजू जैन गुप्ता
गुरुग्राम
हरियाणा
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अंजू जैन गुप्ता
गुरुग्राम
हरियाणा
प्रचीन विश्व के सात आश्चर्य : शरद कुमार श्रीवास्तव
प्राचीन विश्व के सात आश्चर्य :
1- मिस्र के पिरामिड
मिस्र के पिरामिड में वहाँ के राजाओं के शवों को दफनाकर सुरक्षित रखा गया है। इन शवों को ममी कहा जाता है। इन पिरामिड में शवों के साथ खाद्यान, पेय पदार्थ, वस्त्र, गहनें, बर्तन, वाद्य यंत्र, हथियार, जानवर को दफनाया जाता था। यहाँ तक कि कभी-कभी सेवक सेविकाओं को भी दफना दिया जाता था । इन पिरामिडोंमें सुरक्षित सभ्यता के अवशेष वहाँ का गौरव बखानते हैं । मिश्र में १३८ पिरामिड हैं और काहिरा के उपनगर गिजा का ‘ग्रेट पिरामिड’ ही प्राचीन विश्व के सात अजूबों की सूची में है। दुनिया के सात प्राचीन आश्चर्यों में शेष यही एकमात्र ऐसा स्मारक है जो सुरक्षित है।
यह पिरामिड ४५० फुट ऊंचा है। ४३ सदियों तक यह दुनिया की सबसे ऊंची संरचना रहा। १९वीं सदी में ही इसकी ऊंचाई का कीर्तिमान टूटा। इसका आधार १३ एकड़ में फैला है जो करीब १६ फुटबॉल मैदानों जितना है। यह २५ लाख चूनापत्थरों के खंडों से निर्मित है जिनमें से हर एक का वजन २ से ३० टनों के बीच है। ग्रेट पिरामिड को इतनी बारीकियों के साथ बनाया गया है जिसे वर्तमान तकनीक भीशायद दोबारा नहीं बना सके। कुछ साल पहले तक (लेसर किरणों से माप-जोख का उपकरण ईजाद होने तक) वैज्ञानिक इसकी सूक्ष्म सममिति (सिमट्रीज) का पता नहीं लगा पाये थे, प्रतिरूप बनाने की तो बात ही दूर! इसका निर्माण करीब २५६० वर्ष ईसा पूर्व मिस्र के शासक खुफु के चौथे वंश द्वारा अपनी कब्र के तौर पर कराया गया था। इसे बनाने में करीब २३ साल लगे।
म्रिस के इस महान पिरामिड को लेकर अक्सर सवाल उठाये जाते रहे हैं कि बिना मशीनों के, बिना आधुनिक औजारों के मिस्रवासियों ने कैसे विशाल पाषाणखंडों को ४५० फीट ऊंचे पहुंचाया और इस बृहत परियोजना को महज २३ वर्षों मे पूरा किया? पिरामिड मर्मज्ञ इवान हैडिंगटन ने गणना कर हिसाब लगाया कि यदि ऐसा हुआ तो इसके लिए दर्जनों श्रमिकों को साल के ३६५ दिनों में हर दिन १० घंटे के काम के दौरान हर दूसरे मिनट में एक प्रस्तर खंड को रखना होगा। क्या ऐसा संभव था? विशाल श्रमशक्ति के अलावा क्या प्राचीन मिस्रवासियों को सूक्ष्म गणितीय और खगोलीय ज्ञान रहा होगा? विशेषज्ञों के मुताबिक पिरामिड के बाहर पाषाण खंडों को इतनी कुशलता से तराशा और फिट किया गया है कि जोड़ों में एक ब्लेड भी नहीं घुसायी जा सकती। मिस्र के पिरामिडों के निर्माण में कई खगोलीय आधार भी पाये गये हैं, जैसे कि तीनों पिरामिड आ॓रियन राशि के तीन तारों की सीध में हैं। वर्षों से वैज्ञानिक इन पिरामिडों का रहस्य जानने के प्रयत्नों में लगे हैं किंतु अभी तक कोई सफलता नहीं मिली
शरद कुमार श्रीवास्तव
मंगलवार, 6 दिसंबर 2016
महेन्द्र देवांगन का बालगीत
प्यासी चिड़िया
प्यासी चिड़िया ढूंढ रही है
पानी की एक बूंद
इधऱ उधर सब भटक रही हैं
पूरे झूंड के झूंड ।
चीं चीं चीं चीं करते करते
कंठ गया है सूख
झुलस रही हैं ताप में
कैसे मिटाये भूख ।
दया करो इन चिड़ियों पर
कोई न इसे भगाओ
छत के ऊपर पानी रखकर
दया भाव दिखलाओ ।
मुट्ठी भर चांवल का दाना
छत पर तुम बिखराओ
भूखे प्यासे इन चिड़ियों के
जीवन तुम बचाओ ।
महेन्द्र देवांगन "माटी"
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला - कबीरधाम (छ. ग)
पिन- 491559
मो.- 8602407353
Email -mahendradewanganmati@gmail.com
उपासना बहार की बालकथा
अंशुल के स्कैटिंग शूज
अंशुल एक अच्छा बच्चा था। उसके पास बहुत सारे खिलौने थे। वह रोज स्कूल से आ कर पहले होमवर्क करता था उसके बाद अपने खिलौनों से खेलता था और खेलते खेलते उन्हें पूरे कमरे में फैला देता था। इन बिखरे हुए खिलौनों को बाद में उसकी मां को ही उठा कर एक कोने में रखना पड़ता था। इसीलिए एक दिन उसके माँ और पापा बाजार जा कर खिलौने रखने के लिए बक्सा ले आये, जिसे देख कर अंशुल खूब खुश हुआ मां ने यह बक्सा देते हुए कहा “बेटा तुम खेलते समय अपने खिलौने पूरे कमरे में फैला देते हो और बाद मैं मुझे उन्हें रखने पड़ते हैं. अब से तुम खेलने के बाद खिलौनों को इ
स बाक्स में रखना। अंशुल ने उसका नाम “स्वीट होम” रखा। कुछ दिनों तक तो उसने अपने खिलौने स्वीट होम में रखे लेकिन धीरे धीरे उसने फिर से खिलौने कमरे में फैलाने लगा था। मां उसके इस हरकत से बहुत परेशान हो गई थी। वो उसे बार बार समझाती थी कि अपना कमरा साफ रखना चाहिए, पर अंशुल एक कान से सुनता और दूसरे कान से निकाल देता था।
अंशुल ने अपने पापा से कहा कि वह स्कैटिंग सीखना चाहता है और उसके लिए स्कैटिंग शूज ला दे। दूसरे दिन उसके पापा स्कैटिंग शूज ले आये। अंशुल जूते देख बहुत खुश हुआ और तुरंत अपने दोस्तों को दिखाने गया। अब वह रोज पास के मैदान में जा कर स्कैट सीखने लगा।
एक दिन वह स्कैट करके आया और आदत के मुताबिक स्कैटिंग शूज को अपनी जगह पर ना रखते हुए दरवाजे के पास ही रख कर हाथ पैर धोने के लिए बाथरुम चला गया। इसी दौरान उसकी मां दूध लेकर कमरे में आयी और उनका पैर बीच में रखे स्कैटिंग शूज पर पड़ा। वो फिसली और दिवार से जाकर जोर से टकरा गई। उनके गिरने की आवाज सुन कर अंशुल जल्दी से बाथरूम से निकल कर कमरे की ओर भागा। कमरे में पहुँच कर अंशुल ने देखा कि मां गिरी हुई हैं और उनके पैर में बहुत ज्यादा चोट आयी थी और पैर फूल गया था। मां जमीन से उठ नही पा रही थीं और दर्द के कारण उनके आंख से आंसू बह रहे थे। उसने तुरंत पापा को फ़ोन किया और तुरंत डाक्टर को फोन किया। डाक्टर अंकल आये और उन्होनें मां के पैर की जांच की। उनके पैर में मोच आयी थी। अंशुल समझ गया कि उसने कमरे के बीच में जो स्कैटिंग शूज रखा था उसी से फिसल कर माँ गिरी हैं। जब डाक्टर ने गिरने का कारण पूछा तो मां ने नही बताया कि उसकी लापरवाही के कारण वो इतनी तकलीफ में आ गई हैं। अंशुल को पहली बार अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने सोचा कि अगर स्कैटिंग शूज को सही जगह पर रखा होता तो आज उसकी मां को इतनी चोट नही लगती। उसने मां से कहा कि “मां मुझे माफ कर दिजीये, अब आगे से मैं अपने कमरे को साफ रखुंगा और खिलौनों को उनके स्वीट होम में और बाकि चीजों को सही जगह पर रखुंगा।“ मां ने उसे बड़े प्यार से गले लगा लिया।
उपासना बेहार
अंशुल एक अच्छा बच्चा था। उसके पास बहुत सारे खिलौने थे। वह रोज स्कूल से आ कर पहले होमवर्क करता था उसके बाद अपने खिलौनों से खेलता था और खेलते खेलते उन्हें पूरे कमरे में फैला देता था। इन बिखरे हुए खिलौनों को बाद में उसकी मां को ही उठा कर एक कोने में रखना पड़ता था। इसीलिए एक दिन उसके माँ और पापा बाजार जा कर खिलौने रखने के लिए बक्सा ले आये, जिसे देख कर अंशुल खूब खुश हुआ मां ने यह बक्सा देते हुए कहा “बेटा तुम खेलते समय अपने खिलौने पूरे कमरे में फैला देते हो और बाद मैं मुझे उन्हें रखने पड़ते हैं. अब से तुम खेलने के बाद खिलौनों को इ
अंशुल ने अपने पापा से कहा कि वह स्कैटिंग सीखना चाहता है और उसके लिए स्कैटिंग शूज ला दे। दूसरे दिन उसके पापा स्कैटिंग शूज ले आये। अंशुल जूते देख बहुत खुश हुआ और तुरंत अपने दोस्तों को दिखाने गया। अब वह रोज पास के मैदान में जा कर स्कैट सीखने लगा।
एक दिन वह स्कैट करके आया और आदत के मुताबिक स्कैटिंग शूज को अपनी जगह पर ना रखते हुए दरवाजे के पास ही रख कर हाथ पैर धोने के लिए बाथरुम चला गया। इसी दौरान उसकी मां दूध लेकर कमरे में आयी और उनका पैर बीच में रखे स्कैटिंग शूज पर पड़ा। वो फिसली और दिवार से जाकर जोर से टकरा गई। उनके गिरने की आवाज सुन कर अंशुल जल्दी से बाथरूम से निकल कर कमरे की ओर भागा। कमरे में पहुँच कर अंशुल ने देखा कि मां गिरी हुई हैं और उनके पैर में बहुत ज्यादा चोट आयी थी और पैर फूल गया था। मां जमीन से उठ नही पा रही थीं और दर्द के कारण उनके आंख से आंसू बह रहे थे। उसने तुरंत पापा को फ़ोन किया और तुरंत डाक्टर को फोन किया। डाक्टर अंकल आये और उन्होनें मां के पैर की जांच की। उनके पैर में मोच आयी थी। अंशुल समझ गया कि उसने कमरे के बीच में जो स्कैटिंग शूज रखा था उसी से फिसल कर माँ गिरी हैं। जब डाक्टर ने गिरने का कारण पूछा तो मां ने नही बताया कि उसकी लापरवाही के कारण वो इतनी तकलीफ में आ गई हैं। अंशुल को पहली बार अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने सोचा कि अगर स्कैटिंग शूज को सही जगह पर रखा होता तो आज उसकी मां को इतनी चोट नही लगती। उसने मां से कहा कि “मां मुझे माफ कर दिजीये, अब आगे से मैं अपने कमरे को साफ रखुंगा और खिलौनों को उनके स्वीट होम में और बाकि चीजों को सही जगह पर रखुंगा।“ मां ने उसे बड़े प्यार से गले लगा लिया।
उपासना बेहार
संपादकीय
संपादक की डेस्क से
नाना का पिटारा मे आप सभी का स्वागत है । हिन्दी ब्लागस् डाट नेट द्वारा सर्वर बदले जाने की प्रक्रिया में आई कुछ तकनीकी परेशानियों के कारण नाना की पिटारी और वीनापति दोनो ब्लॉग अदृश्य हो गये हैं । लेकिन हम रुके नहीं हम अपने मार्ग मे पुनः अग्रसर हैं एक नये नाम से "नाना का पिटारा " जो आपके सामने है । इस बार हम तीन बालगीत प्रस्तुत कर रहे हैं और दो कहानियाँ प्रस्तुत कर रहे है ।
इस अंक में दो नये कवियों की कविताएं हैं जो आपको पसंद आयेगी और उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से पुरस्कृत श्री शादाब आलम जी की बाल रचना भी है
गत् 26 /11/2016 को प्रकाशित कहानी का हम पुनः प्रकाशन कर रहे है । विगत तीन वर्षों में हमें हमारे पाठकों का बहुत प्यार मिला है । जो हमारे उत्साह का कारण है । हमारा पाठकों से निवेदन है कि इसी तरह अपना प्यार बनाए रखे
धन्यवाद
शरद कुमार श्रीवास्तव
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