झूठ की हार
रामपुर नाम के गांव में किशन नाम का एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था । उसकी पत्नी का नाम सुनैना था और बेटे का नाम रोमी था जो अब विवाह के लायक हो गया था । किशन मेहनती और इमानदार था । वह रोज खेत जाता था और मेहनत से काम कर के फसल उगाता था । फसल जब तैयार हो जाती थी तो शहर जाकर बेच आता था और इस तरह वह अपने परिवार का गुजारा चलाता था ।
कुछ दिनों के बाद उसकी पत्नी सुनना ने कहा " अजी सुनते हो अब अपना बेटा शादी लायक हो गया है । उसकी शादी के लिए हमें लडकी देखनी चाहिए । इस पर रामू बोला कि हाँ तुम ठीक कहती हो कल ही मैं शहर जाकर अपने मित्र रामू से रोमी की शादी की बात करता हूँ । रामू की एक गुणी और सुशील बेटी है उसके लिए अपने बेटे की शादी की बात करता हूँ । लेकिन एक परेशानी की बात है कि अपना रोमी कुछ नहीं कर रहा है । उसी समय रोनी सामने आ गया । उसने पूछा कि क्या बात है । किशन ने कहा कि तुम्हारी माँ तुम्हारी शादी की बात कर रहीं थीं । यह सुनकर रोनी खुशी से उछल पड़ा । इस पर किशन ने कहा कि लेकिन परेशानी की बात यह है कि तुम कुछ करते नहीं हो। पहले तुम इस काबिल बन जाओ कि अपना और अपनी पत्नी और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सको। रोमी बोला कि यह बात है तो कल से मै आपके साथ चल कर खेतों में काम करूंगा । यह सुनकर किशन और सुनैना खुश हो गए । कुछ दिनो के बाद रोमी का विवाह भी हो गया ।
रोमी की शादी के कुछ दिनों के बाद ही किशन बीमार हो गया । अब रोमी अकेले ही खेतों में काम करने के लिये जाता था । रोमी अपने पिता की तरह सच्चा और ईमानदार नहीं था । वह खेतों में जाता और जब फसल पक जाती थी तब बिना किसी को कुछ कहे रातों रात फसल को
काटकर वह शहर में बेच आता था और उन पैसों को खा पी कर उड़ा देता था। फिर पैसे ख़तम होने पर उदास होकर खेतो के बाहर बैठ कर रोने लगता था। रो- रो कर वह कहने लगता था कि मेरी सारी फसल नष्ट हो गई , जानवरों ने मेरी सारी फसल तहस नहस कर दिया है अब मैं परिवार का खर्चा कैसे उठाऊंगा। यह देखकर गांववाले उस पर दया दिखाकर पैसे और सामान दे जाते थे, जिसे ले कर वह अपने घर जाता था। अब वह हर बार ऐसे ही करने लगा। . अपनी फसल के पैसे तो वह उड़ा देता था और गाँव वालों के दया के पैसे और सामान लेकर वः घर जाता था। परंतु इस बार गाँव के गांव के मुखिया ने रोमी को फसल बेचते देख लिया था और उसने गांव वालों को रोनी के सब गांववासियों को उल्लू बनाने की योजना के बारे बताया। यह सुनकर गाँव वाले नाराज हो गए । अगली बार जब फसल तैयार हुई तो जानवरों ने रोनी की फसल को पूरी तरह तहस नहस कर दिया। जब रोनी फसल काटने के लिए खेत में गया तो तो तहस नहस फसल देखकर वह जोर से रोने लगा। परंतु इस बार उसकी मदद के लिए कोई नहीं आया। . उसके पास पैसे भी नहीं बचे थे . फिर वह रुखा सूखा खा कर नई फसल का इंतज़ार करने लगा। उसके घर में खाने के लिए कुछ नहीं था तब किशन के परिवार की दयनीय स्थिति देख कर गांव का मुखिया, किशन के घर आया और उसने रोमी से मुलाकात पर यह बताया कि उसने रोमी को फसल बेचते हुए देख लिया था और गांव वालों को बता दिया था . तभी इस बार तुम्हारे ऊपर मुसीबत आने पर कोई तुम्हारे साथ नहीं आया। यह सुनकर रोमी नहुत शर्मिन्दा हुआ और उसने कहा कि अब वह हमेशा मेहनत और ईमानदारी से काम करेगा और झूठ नहीं बोलेगा । इस आश्वासन झूठएअ मुखिया जी ने जाते जाते उसकी मदद के लिए कुछ पैसे दिए जिसे रोमी ने कहा की वह समय पर लौटा देगा।
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अंजू जैन गुप्ता
गुरुग्राम
हरियाणा
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