संपादक की डेस्क से
नाना का पिटारा मे आप सभी का स्वागत है । हिन्दी ब्लागस् डाट नेट द्वारा सर्वर बदले जाने की प्रक्रिया में आई कुछ तकनीकी परेशानियों के कारण नाना की पिटारी और वीनापति दोनो ब्लॉग अदृश्य हो गये हैं । लेकिन हम रुके नहीं हम अपने मार्ग मे पुनः अग्रसर हैं एक नये नाम से "नाना का पिटारा " जो आपके सामने है । इस बार हम तीन बालगीत प्रस्तुत कर रहे हैं और दो कहानियाँ प्रस्तुत कर रहे है ।
इस अंक में दो नये कवियों की कविताएं हैं जो आपको पसंद आयेगी और उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से पुरस्कृत श्री शादाब आलम जी की बाल रचना भी है
गत् 26 /11/2016 को प्रकाशित कहानी का हम पुनः प्रकाशन कर रहे है । विगत तीन वर्षों में हमें हमारे पाठकों का बहुत प्यार मिला है । जो हमारे उत्साह का कारण है । हमारा पाठकों से निवेदन है कि इसी तरह अपना प्यार बनाए रखे
धन्यवाद
शरद कुमार श्रीवास्तव
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