अंशुल के स्कैटिंग शूज
अंशुल एक अच्छा बच्चा था। उसके पास बहुत सारे खिलौने थे। वह रोज स्कूल से आ कर पहले होमवर्क करता था उसके बाद अपने खिलौनों से खेलता था और खेलते खेलते उन्हें पूरे कमरे में फैला देता था। इन बिखरे हुए खिलौनों को बाद में उसकी मां को ही उठा कर एक कोने में रखना पड़ता था। इसीलिए एक दिन उसके माँ और पापा बाजार जा कर खिलौने रखने के लिए बक्सा ले आये, जिसे देख कर अंशुल खूब खुश हुआ मां ने यह बक्सा देते हुए कहा “बेटा तुम खेलते समय अपने खिलौने पूरे कमरे में फैला देते हो और बाद मैं मुझे उन्हें रखने पड़ते हैं. अब से तुम खेलने के बाद खिलौनों को इ
स बाक्स में रखना। अंशुल ने उसका नाम “स्वीट होम” रखा। कुछ दिनों तक तो उसने अपने खिलौने स्वीट होम में रखे लेकिन धीरे धीरे उसने फिर से खिलौने कमरे में फैलाने लगा था। मां उसके इस हरकत से बहुत परेशान हो गई थी। वो उसे बार बार समझाती थी कि अपना कमरा साफ रखना चाहिए, पर अंशुल एक कान से सुनता और दूसरे कान से निकाल देता था।
अंशुल ने अपने पापा से कहा कि वह स्कैटिंग सीखना चाहता है और उसके लिए स्कैटिंग शूज ला दे। दूसरे दिन उसके पापा स्कैटिंग शूज ले आये। अंशुल जूते देख बहुत खुश हुआ और तुरंत अपने दोस्तों को दिखाने गया। अब वह रोज पास के मैदान में जा कर स्कैट सीखने लगा।
एक दिन वह स्कैट करके आया और आदत के मुताबिक स्कैटिंग शूज को अपनी जगह पर ना रखते हुए दरवाजे के पास ही रख कर हाथ पैर धोने के लिए बाथरुम चला गया। इसी दौरान उसकी मां दूध लेकर कमरे में आयी और उनका पैर बीच में रखे स्कैटिंग शूज पर पड़ा। वो फिसली और दिवार से जाकर जोर से टकरा गई। उनके गिरने की आवाज सुन कर अंशुल जल्दी से बाथरूम से निकल कर कमरे की ओर भागा। कमरे में पहुँच कर अंशुल ने देखा कि मां गिरी हुई हैं और उनके पैर में बहुत ज्यादा चोट आयी थी और पैर फूल गया था। मां जमीन से उठ नही पा रही थीं और दर्द के कारण उनके आंख से आंसू बह रहे थे। उसने तुरंत पापा को फ़ोन किया और तुरंत डाक्टर को फोन किया। डाक्टर अंकल आये और उन्होनें मां के पैर की जांच की। उनके पैर में मोच आयी थी। अंशुल समझ गया कि उसने कमरे के बीच में जो स्कैटिंग शूज रखा था उसी से फिसल कर माँ गिरी हैं। जब डाक्टर ने गिरने का कारण पूछा तो मां ने नही बताया कि उसकी लापरवाही के कारण वो इतनी तकलीफ में आ गई हैं। अंशुल को पहली बार अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने सोचा कि अगर स्कैटिंग शूज को सही जगह पर रखा होता तो आज उसकी मां को इतनी चोट नही लगती। उसने मां से कहा कि “मां मुझे माफ कर दिजीये, अब आगे से मैं अपने कमरे को साफ रखुंगा और खिलौनों को उनके स्वीट होम में और बाकि चीजों को सही जगह पर रखुंगा।“ मां ने उसे बड़े प्यार से गले लगा लिया।
उपासना बेहार
अंशुल एक अच्छा बच्चा था। उसके पास बहुत सारे खिलौने थे। वह रोज स्कूल से आ कर पहले होमवर्क करता था उसके बाद अपने खिलौनों से खेलता था और खेलते खेलते उन्हें पूरे कमरे में फैला देता था। इन बिखरे हुए खिलौनों को बाद में उसकी मां को ही उठा कर एक कोने में रखना पड़ता था। इसीलिए एक दिन उसके माँ और पापा बाजार जा कर खिलौने रखने के लिए बक्सा ले आये, जिसे देख कर अंशुल खूब खुश हुआ मां ने यह बक्सा देते हुए कहा “बेटा तुम खेलते समय अपने खिलौने पूरे कमरे में फैला देते हो और बाद मैं मुझे उन्हें रखने पड़ते हैं. अब से तुम खेलने के बाद खिलौनों को इ
अंशुल ने अपने पापा से कहा कि वह स्कैटिंग सीखना चाहता है और उसके लिए स्कैटिंग शूज ला दे। दूसरे दिन उसके पापा स्कैटिंग शूज ले आये। अंशुल जूते देख बहुत खुश हुआ और तुरंत अपने दोस्तों को दिखाने गया। अब वह रोज पास के मैदान में जा कर स्कैट सीखने लगा।
एक दिन वह स्कैट करके आया और आदत के मुताबिक स्कैटिंग शूज को अपनी जगह पर ना रखते हुए दरवाजे के पास ही रख कर हाथ पैर धोने के लिए बाथरुम चला गया। इसी दौरान उसकी मां दूध लेकर कमरे में आयी और उनका पैर बीच में रखे स्कैटिंग शूज पर पड़ा। वो फिसली और दिवार से जाकर जोर से टकरा गई। उनके गिरने की आवाज सुन कर अंशुल जल्दी से बाथरूम से निकल कर कमरे की ओर भागा। कमरे में पहुँच कर अंशुल ने देखा कि मां गिरी हुई हैं और उनके पैर में बहुत ज्यादा चोट आयी थी और पैर फूल गया था। मां जमीन से उठ नही पा रही थीं और दर्द के कारण उनके आंख से आंसू बह रहे थे। उसने तुरंत पापा को फ़ोन किया और तुरंत डाक्टर को फोन किया। डाक्टर अंकल आये और उन्होनें मां के पैर की जांच की। उनके पैर में मोच आयी थी। अंशुल समझ गया कि उसने कमरे के बीच में जो स्कैटिंग शूज रखा था उसी से फिसल कर माँ गिरी हैं। जब डाक्टर ने गिरने का कारण पूछा तो मां ने नही बताया कि उसकी लापरवाही के कारण वो इतनी तकलीफ में आ गई हैं। अंशुल को पहली बार अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने सोचा कि अगर स्कैटिंग शूज को सही जगह पर रखा होता तो आज उसकी मां को इतनी चोट नही लगती। उसने मां से कहा कि “मां मुझे माफ कर दिजीये, अब आगे से मैं अपने कमरे को साफ रखुंगा और खिलौनों को उनके स्वीट होम में और बाकि चीजों को सही जगह पर रखुंगा।“ मां ने उसे बड़े प्यार से गले लगा लिया।
उपासना बेहार
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