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सोमवार, 16 जनवरी 2017

डॉ. प्रदीप शुक्ल की पुस्तक गुल्लू के गाँव से


1. धूप बेचारी



सर्दी में सूरज अंकल ने

दे डाली है धूप को छुट्टी

मुन्ना उसके इंतज़ार में

पिए जा रहा जीवन घुट्टी



क्यों ना आई धूप समय पर

मुन्ना जोर जोर चिल्लाये

बस मालिश के इंतज़ार में

लेटा है वो तेल लगाये



दादी कहती धूप बेचारी,

बहुत दूर से वो आती है

सूरज अंकल के घर से बस

आते आते थक जाती है



पूरे बरस काम वो करती

ज़र्रे ज़र्रे को चमकाए

बस थोड़े दिन जाड़े में औ’

बारिश में ही ना आ पाए



देखो तेरी दीदी भी तो

सन्डे को स्कूल न जाये

आ जायेगी धूप बेचारी

काहे तू इतना चिल्लाये?



                                   डॉ. प्रदीप शुक्ल

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