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शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2018

किस्सा मिस्टर मुसद्दीलाल : शरद कुमार श्रीवास्तव






मुसद्दीलाल जी रोज प्रातःकाल टहलने के लिये जाते हैं,यह मैंने सुना तो था । परन्तु अपनी आँखों से देखने का मौका आज सुबह ही मिला।  प्रातःकालीन सैर तो सैकड़ों लोग करते हैं  लेकिन उनके बेढंगी शारीरिक बनावट और उसपर उनका नगाड़े जैसा पेट देखने में हास्यप्रद लगने वाले अपने मुसद्दी लाल जी भी करते है, ऐसा मैंने पहले तो नहीं सोचा था . मुझे लोगों से पता चला था ।   लोग इस बात को भी मजाक बना देते हैं परन्तु मेरा मानना है कि किसी की शारीरिक बनावट जो भगवान की देन है पर हसना अच्छी बात नहीं है ।आज गुड़िया की मम्मी ने सुबह-सुबह ही मुझे सोते से उठा दिया था। बोली आज दूधवाला नहीं आयगा, वह मुझे कल ही बता कर गया है।   मैं तैयार होकर  दूध ले आया और लाकर घर में दे दिया ।   फिर  मैंने सोचा कि बिस्तर मे पुनः वापस जाने से तो अच्छा है कि प्रातःकालीन की सैर का मजा लिया जाये । दौड़ने वाले जूते पहन कर मै भी टहलने निकल गया । 

कुछ ही दूर सड़क पर मुसद्दीलाल जी भी मिल गए। प्रातःकालीन नम्स्कार अभिवादन करके हम साथ साथ चलने लगे कि एक स्थल पर पहुचते ही अचानक मुसद्दी जी तेज़ दौड़ने लगे और मै पीछे रह गया। उसी दिन किसी  काम से मुसद्दीलाल जी मेरे आफिस आये तो मैंने उनसे सुबह भ्रमण के दौरान अचानक दौड़ने का जिक्र किया और कारण पूछा।  वह बड़े भोलेपन से बोले , भाईसाहब, आपने देखा नहीं था वहाँ एक नोटिस बोर्ड लगा है जिसपर लिखा है ” स्पीड १० कि मी प्रति घन्टा”। मेरी स्पीड तो तीन या चा कि मी ही रहती है न ।  मुझे हंसी आ रही थी परन्तुमैमैं हँस भी नहीं पा रहा था। मैने उन्हें समझाया कि वह तो मोटर वाहनों के लिखा हुआ होता है आप के लिये नहीं । बाद मे जब भी उनकी इस बात का ख्याल आता है तो मै अपनी हंसी रोक नहीं पाता हूँ ।


                               शरद कुमार श्रीवास्तव 

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