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शनिवार, 6 अक्टूबर 2018

मीठी व कड़वी बोली : मंजू श्रीवास्तव की बालकथा


दीपक और विमल बहुत गहरे दोस्त थे | लेकिन स्वभाव एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत  |
      एक बार दोनो ने शर्त लगाई कि देखें कौन अपने अपने व्यवसाय में सबसे ज्यादा सफल होता है |
      दीपक ने मिठाई की दुकान खोली और विमल ने अचार का व्यवसाय शुरू किया |
        दो दिन से तो काम ठीक ही चल रहा है |   एक दिन दीपक की दुकान मे एक ग्राहक आया |
दीपक ने पहले उसे बैठने को कुर्सी दी | फिर एक प्लेट मे दो पीस मिठाई दी |  ग्राहक ने मिठाई की बड़ी तारीफ की |दीपक भी खुश हो गया और बोला आपको ऐसी मिठाई शहर में कहीं नहीं मिलेगी |
     ग्राहक खुश हो गया और दो तीन मिठाई के पैकेट खरीदकर लेगया |
       ग्राहक दुकान से निकला तो अचार की दुकान दिखाई दी | सोचा थोड़ा अचार भी ले चलूँ |
         अचार की दुकान मे गया |  पहले उसने  विमल से कई तरह के अचार निकलवाये चखने के लिये |फिर उसने भाव पूछे| विमल ने भाव बताये तो ग्राहक कहने लगा कि भाव तो बहुत ज्यादा हैं| यह सुनकर विमल को ताव आ गया | बोला सारे अचार चख लिये | लेना देना कुछ नहीं, खाली जेब  चले आते हैं सामान लेने | इतना समय बर्बाद किया मेरा | विमल ग्राहक से बोला आप कहीं और से सामान ले लीजिये
     ग्राहक चुपचाप दुकान से बाहर आ गया |
       कुछ दिन बाद देखा गया कि दीपक की दुकान में खूब भीड़ लगी रहती है और आमदनी भी अच्छी खासी हो रही है |
      लेकिन विमल की दुकान मे इक्का दुक्का लोग ही दिखते हैं |
दुकान काफी घाटे मे चल रही है |
       ., 
           दीपक ने विमल से कहा अब बताओ दोस्त कौन सफल रहा अपने काम में |
        दीपक. ने विमल को समझाया कि ग्राहक भी दुकानदार के अच्छे व्यवहार व मीठे वचन से ही खुश होता है |
        विमल को बात समझ मे आ गई |
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बच्चों हम मीठे वचन से दुनिया जीत सकते है  और कड़वे वचन से हमसे सब दूर भागते हैं |
मीठी वाणी शहद समान, कड़वी वाणी जहर समान

























मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार
  

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