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गुरुवार, 6 जून 2019

(पर्यावरण दिवस पर विशेष) गुलाब परी के फफोले : बालकथा : शरद कुमार श्रीवास्तव






गुलाब परी सो कर उठी । उठ कर अपने घर के सामने वाले झरने पर मुँह धोने के लिए हाथ बढ़ाया तो झरने  में  पानी नहीं था । आज हवा सो गई थी । हवा आज झरने तक ओस की बूँदें भरकर नहीं लाई थी । सबेरे ही गर्मी का दैत्य लाल लाल आँखों से डरा रहा था ।   गुलाब परी के शरीर पर फफोले पड़ गये थे ।  उस रात, यद्यपि उसके पापा मम्मी ने उसे सात मुलायम गद्दों के ऊपर सुलाया था , फिर भी प्रदूषण की वजह से गुलाब परी के गद्दों के नीचे पड़ी धूल की एक कण की वजह से गुलाब परी के बदन पर फफोले पड़ गये थे । गुलाब परी की मम्मी को अपनी बच्ची की तकलीफ देखी नहीं जा रही थी । उसने अपनी बच्ची की तकलीफ़ की शिकायत महारानी प्रकृति से की । महारानी ने आदेश जारी किया कि गुलाब परी की तकलीफ के कारणो का पता लगाया जाय ।
एक  नन्ही रंग-बिरंगी तितली को इस काम के लिए महारानी ने लगाया ।        उस तितली ने हवा,जल और भूमि को दोषी पाया । तितली ने अपनी रिपोर्ट कोयल को प्रस्तुत किया । कोयल ने हवा की बात सुनी । हवा ने अपने बचाव  में  अपने  साथ साथ जल और भूमि का पक्ष रखा । प्रदूषण से भरपूर हवा , कोयल के सुर को भी नुकसान पहुंचा रही थी । अतः पेड़ के ऊपर पत्तों के बीच मे छुपकर, जज, कोयल ने हवा की बात सुनी। गन्दी सन्दी हवा ने जज कोयल को अपना पक्ष रखा । हवा बोली कि मानव जाति की वजह से हवा प्रदूषित हुई है । ऑटोमोबाइल से निकला धुँआ और उड़ती धूल फैक्टरियों की चिमनियों से उत्सर्जित गैसें और धुँआ, कचरा कचरे को जलाना भी हवा के प्रदूषण के कारण रहे हैं जो ओजोन परत में छेद कर रहे हैं और एक जटिल प्रक्रिया से प्रदूषण फैल जाता है । जज कोयल ने अपनी मीठी आवाज में हवा से निदान भी पूछा । हवा ने भूमि और जल की तरफ के पक्ष कोयल के समक्ष रखे । जिनमे मुख्य थे कि इन्सान अपने आस पास निजी और सामुहिक सफाई का ध्यान रखें । अधिक से अधिक पेड़ लगाए। अपने दैनिक जीवन शैली में बदलाव लाएं कम से कम आटोमोबाइल वाहनों का प्रयोग करें । पानी और बिजली को बचाए ताकि ऊर्जा के लिए जंगल नहीं कटे।
कोयल ने मामले को गंभीरता से लिया और प्रकृति महारानी से सिफारिश की कि मनुष्यों को कड़े और स्पष्ट शब्दों में निर्देश और चेतावनी दी जाऐ ताकि इस पृथ्वी पर जीवन की सुरक्षा बनी रहे और गुलाब परी को या किसी और को कोई नुकसान या तकलीफ नहीं हो।
























शरद कुमार श्रीवास्तव

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