सब कुछ तो तेरी है माता, क्या क्या चीज चढाऊँ मैं ।
कृपा करो ऐसी हे माता, तेरे ही गुण गाऊँ मैं ।।
मैं अज्ञानी बालक माता , पूजा पाठ न जानूँ मैं ।
केवल मन में श्रद्धा रखकर , दिल से तुझको मानूँ मैं ।।
जब भी आँख खुले हे माता, तब भी दर्शन पाऊँ मैं ।
कृपा करो ऐसी हे माता , तेरे ही गुण गाऊँ मैं ।।
क्या जानूँ मैं मंत्र जाप को , क्या जानूँ चालीसा को ।
क्या जानूँ मैं ध्यान योग को , क्या जानूँ ग्रह दिशा को ।।
माटी का ही दीप जलाकर , श्रद्धा सुमन चढ़ाऊँ मैं ।
कृपा करो ऐसी हे माता , तेरे ही गुण गाऊँ मैं ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
बहुत बहुत धन्यवाद सर जी
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र देवांगन माटी