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गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

शरद कुमार श्रीवास्तव की बालकथा. बढते फरिश्ते







समीर बड़ा  हो चला था ।  उसके  मम्मी  पापा और  घर वाले उसे ऐसा  ही समझते थे ।   क्लास  मे सबसे लम्बा  बच्चा था शायद इसीलिए उसको अपने  बड़े होने  का एहसास ज्यादा  कराया जाता   था ।   उसे समझ  नहीं  आता  था  कि  वह  बड़ा  हो  गया है या अभी छोटा ही है ।   वह हर समय यह मानता था कि वह अभी  तक  बच्चा  है ।   जब वह कोई गलती  करता था तब सभी उससे  कहने  लगते  थे  कि  अब वह कितना  बड़ा  हो  गया  है  और गलतियों  नादानियाँ बिल्कुल  छोटे  बच्चे  की  तरह  ही  करता है ।   अभी स्कूल से आया तो अपना स्कूल बैग सोफे पर फेंका जूते भी सोफे के सामने उतार कर टीवी के सामने बैठ  गया।  यह उसके मन पसंद बच्चों के लिए प्रसारित होने वाले प्रोग्राम डोरेमान के एपीसोड का समय था।  मम्मी ने देखा तो वे समीर के ऊपर नाराज हो गयीं और जाकर टीवी आफ कर दिया।   मम्मी बोली कि अब तुम बड़े क्लास में आ गए हो।  पढ़ाई का इतना. बोझ है थोड़ी देर आराम कर लो फिर होमवर्क करना है।  समीर को याद आया कि बाहर एक घंटे बच्चों के साथ बॉल भी खेलना है।  टीवी देखने का समय निर्धारित है सात से आठ बजे शाम तक फिर ट्यूशन टीचर जी आ जाएंगे।  अभी तक वह छोटा सा बच्चा था पर अब वह बड़ा हो गया है।.  अच्छी विडम्बना है जब वह साइकिल से  स्कूल  जाना चाहता है  तो  मम्मी  पापा  कहने लगते  थे  कि  अभी तुम बहुत  छोटे  हो  साइकिल  कहीं  लड़ा  दोगे । परन्तु और सब बातों के लिए वह बस बड़ा हो गया है।

समीर देखता था कि  उसके  साथ  के अन्य  बच्चों  के  जीवन में  रुकावटें  नहीं आ रही  हैं  ।   वे सभी  कद में  छोटे हैं इस वजह से उनकी गिनती छोटे बच्चों  मे ही होती है   ।     समीर की  आवाज़  भी  अलग  हो गई  है ।   इस कारण से भी उसे  लोग  बडों में  शुमार  करने  लगे हैं ।   इस बड़प्पन  के  एहसास  से  उसे  क्लास  का मॉनीटर बना दिया गया था।

बड़े बने रहने से समीर को फायदा भी था।  राकेश जो उसी के क्लास में पढता है वह भी समीर से खौफ खाता है।  लेकिन समीर को बड़े क्लास के बच्चे लिफ्ट नहीं देते हैं। समीर इस बात से नाराज है।     वह जल्दी से  बड़ा  होना चाहता है  लेकिन  इधर कुछ दिनो से उत्पन्न हुई इस स्थिति का का उसे कोई विराम नहीं दिख रहा है।   उसके  क्लास टीचर ने  जब समीर  को कुछ  खोया हुआ  देखा  तो उसे अपने पास  बुलाया और  उसकी  समस्या  को सुनने के  बाद  उसे  स्कूल की  फुटबॉल  टीम  मे शामिल  कर लिया ।  पेरेन्ट  टीचर  मीटिंग  मे भी उन्होंने  समीर  की  माँ के साथ  समीर की  बढ़ती हुई उम्र  की समस्याओं पर विचार  कर समीर को अधिक से अधिक  समय देने के लिए  कहा ।   समीर  और उसकी  माँ  अब मित्र  हैं और  वह अब अपनी  सब बातें  माँ  से मित्रवत  करता है ।


          शरद कुमार श्रीवास्तव


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