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मंगलवार, 6 सितंबर 2022

इशिता और दादा जी शिक्षक दिवस के अवसर पर स्पेशल


























इशिता  स्कूल  से आकर  अपने  कमरे  में  गुडिया  खेल  रही  थी  तभी उसके  दादा  जी   उसके  कमरे  में  पहुंचे  ।  उन्हें  देखकर  इशिता  बहुत  खुश  हुई  ।    इशिता के पापा  मम्मी  तो  ऑफिस  चले  जाते  हैं बस एक  दादा जी  ही घर  में  रहते हैं  वही उसके  दोस्त  भी  हैं ।   दादा  जी अक्सर उसे  चाकलेट  लाकर  देते  हैं  ।   इशिता  भी  सबसे  छुपा  कर  चाकलेट  दादा  जी से  साझा   भी  करती  है  ।  दादा जी  को   अपने कमरे मे  आया देख कर  वह खुश  होकर   बोली,  दादू आओ हम लोग स्कूल - स्कूल  खेलते  हैं ।

 दादा जी  को  छोटी बेबी  की  बात  माननी ही  थी।   इशिता ऊँची  सीट पर बैठ  गई  और  दादा जी  खाट पर बैठ  गए  । इशिता  ने  कहा   आप बच्चे  बन जाओ मै  टीचर  बनूंगी  ।   दादा  जी  उसकी  बात  को  मान  गये और  स्कूल- स्कूल  का  खेल  शुरू  हो  गया ।   टीचर  जी  बनी इशिता बोली  "मोबाइल  फोन  हटाइये कापी निकाल  कर  लिखिये ।"   टीचर  जी ने आगे  कहा   साफ साफ  लिखिये और   लाइन  मे लिखिये,  पूरा पेज भरना   तभी पूरे नम्बर  मिलेंगे ।

 दादा जी मुस्करा  रहे  थे  और टीचर जी का दिया  काम करते  जा  रहे  थे ।  थोड़ी  देर  बाद  उन्होंने   कापी टीचर (इशिता)  जी को दे दी ।   टीचर  इशिता  खुश  हो  गई  और  उसने  तुरंत कापी  पर सही  तथा  स्टार  निशान  बनाकर  100/100  नम्बर  दिया ।   यह देखकर दादा जी  खुश  हो  गए।  वह समझे कि क्लास खत्म हो गई है इसलिए वे मोबाइल  से  कहीं  बात  करने  लगे  ।  यह देखकर  टीचर  जी ने  कापी  दादा  जी  से  छीन  कर  ले लिया ।     उसने  पहले के   दिये नम्बर स्टार  और सही का चिन्ह सब काट कर  अब उन्हें  एक  बड़ा  जीरो  दे दिया।   उसके  बाद इशिता    टीचर  जी ने दादा  जी  से   कहा  आपने  कहना  नहीं  माना  है , अपनी  सीट  पर  खड़े  हो  जाइये  ।  

 दादा   जी  को  इशिता  के साथ  इस  खेल  में  मजा  आ   रहा था ।    उन्होंने   अपनी  सीट  यानी  इशिता   के  कमरे  मे पड़े  बेड  पर खड़े  होने की  कोशिश की लेकिन    लड़खड़ा  कर नीचे  फर्श  पर   गिर  पड़े ।     दादा जी  को  पैर  में  चोट  लगी  थी  वे उठ कर  खड़े   नहीं हो  पा रहे  थे ।   उन्हें  लगा  कि  उनका  पैर टूट  गया  है  ।  इशिता  पहले तो दादा  जी को  गिरता  देखकर    हँसी ।   परन्तु दादा  जी  को  ज्यादा देर से नहीं उठ पाने पर उसे लगा उन्हें ज्यादा चोट लगी है और वह उठ  नहीं  पा रहे हैं।. यह देखकर वह रोने लगी ।  तभी यह देखकर दादा जी एक एकदम से उठ खड़े हुए और हंसने लगे।   इशिका के चेहरे पर यह देखकर मुस्कुराहट आ गई और वह दादू से लिपट गई। 




























शरद कुमार श्रीवास्तव    

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