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मंगलवार, 6 सितंबर 2022

खोई ऐनक : वीरेन्द्र सिंह बृजवासी की बाल रचना




खोई   ऐनक   ढूंढ  रही   हैं

मेरी     दादी     अम्मा   जी

बारी -बारी  यह  हम सबसे

पूछ    रही   हैं   अम्मा  जी।


अरे अभी तो यहीं  रखी थी

इतनी   जल्दी    कहाँ   गई 

मेरे  बिस्तर की  बच्चो  तुम

करो    ज़रा   परिक्रमा  जी।


इधर - उधर   ढूंढा   बहुतेरा

लेकिन  ऐनक  नहीं   मिली

दादी  की  ऐनक  ढुंडवा दो

भोले - शंकर     ब्रह्मा   जी।


मेज  और  कुर्सी   के  नीचे

झांक-झांक  कर  भी  देखा

थककर   बैठ   गए    बेचारे

मेरे     पापा -  मम्मा     जी।


दादी अम्मा तुम कमाल  हो

व्यर्थ सभी को  थका  दिया

रखी  हुई  है सर पर  ऐनक

तुमने   दादी    अम्मा    जी।


शरमा कर  दादी  अम्मा  ने

ऐनक      नीचे      सरकाई

खोयी ऐनक मिल जाने पर

लेतीं   सबका   चुम्मा   जी।


आगे बढ़कर मदद करोगे

जब तुम बड़े बुजुर्गों की

आशीषों का ढेर लगेगा

कहतीं दादी अम्मा जी।


 



    

          वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी

             9719275453

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