हे गणपति गणराज जी, आओ हमरे द्वार।
विनती मेरी आपसे, कर दो नैया पार।।
करते मिलकर प्रार्थना, और झुकाये माथ।
दे दो आशीर्वाद जी, अपने चारों हाथ।।
सेवा प्रतिदिन मैं करूँ, और लगाऊँ भोग।
स्वस्थ रहे अब देह भी, निकट न आये रोग।।
भर दो मुझमें ज्ञान जी, रोशन हो जग नाम।
रहे न कंटक राह में, नेक करूँ हर काम।।
भेदभाव है बढ़ रहा, होता अत्याचार।
लालच में आकर यहाँ, करते भ्रष्टाचार।।
आओ हे गणराज जी, मेरी सुनो पुकार।
मिट जाये सब क्लेश भी, विनती बारम्बार।।
सिद्धि विनायक आप हो, करते मंगल काज।
कलयुग दानव नाश हो, बचे हमारी लाज।।
निशदिन पूजापाठ हो, और लगाये ध्यान।
सेवा हो माँ बाप की, दे दो ऐसा ज्ञान।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
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