यादों के झरोखों से श्रीमती मिथिलेश शर्मा जी की एक सुन्दर रचना
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हे राष्ट्रपर्व गणतंत्र दिवस
युग-युग तक तेरा अभिनंदन है ।
भारत का जन मन हर्षित है,
स्वातत्रंत्य भाव से पुल्कित है,
भारत मां के शुभ चरणों में
अर्पित सबका तन-मन-धन है ।
हे राष्ट्रपर्व गणतंत्र दिवस
युग-युग तक तेरा अभिनंदन है ।
तुम आये तो मधु ऋतु आयी,
कलियों में फूटी अरुणायी,
भंवरों का गुंजन गूंज उठा,
खगकुल हर्षित मन झूम उठा,
आल्हादित हैं हिम शिखर सभी,
पुलकित धरती का कण-कण है ।
हे राष्ट्रपर्व गणतंत्र दिवस
युग-युग तक तेरा अभिनंदन है ।
मास जनवरी की तिथि छब्बिस
का शुभ प्रभात जब आया है,
दिग-दिगंत में भारत के
गौरव ने प्रकाश फैलाया है,
भारत के कोने-कोने में
तव उत्सव का आयोजन है,
हे राष्ट्रपर्व गणतंत्र दिवस
युग-युग तक तेरा अभिनंदन है ।
रचना-
श्रीमति मिथिलेश शर्मा
एम.ए., साहित्यरत्न.
भूतपूर्व अध्यापिका, लखनऊ.
अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भाई
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