एक मजेदार वीडियो कुत्तों की पाठशाला
नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी मे क्या है
फिल्म बूट पालिश
गायन आशा भोंसले और मोहम्मद रफी
बारिश की अब हुई विदाई।
ठंडी रानी घर-घर आई।।
कम्बल चादर और रजाई।
निकले अलमीरा से भाई।।
सूरज दादू जल्दी आना।
धूप साथ में अपने लाना।।
देह सभी सेकेंगे बच्चे।
हृष्ट पुष्ट अरु होंगे अच्छे।।
किट-किट सब के दाँत करेंगे।
ठंडे पानी सभी डरेंगे।।
आलस से तुम लो अँगड़ाई।
देखो ठंडी रानी आई।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
Priyadewangan1997@gmail.com
जोत जलत हे जगमग जगमग, गूँजत हे किलकारी।
नव दिन बर माता रानी हर, आये हमर दुवारी।।
लाल लाल चूरी पहिरे अउ, लाली महुर रचाये।
लाली चुनरी ओढ़े माता, मुच मुच ले मुस्काये।।
सरग उपर ले दुर्गा दाई, बघवा करे सवारी।
नव दिन बर माता रानी हर, आये हमर दुवारी।।
महाकाल अउ राम चंद्र जी, हर दुर्गा स्तुति गावै।
नारद मुनि सँग सबो देवता, माथा अपन नवावै।।
कुष्मांडा अउ गौरी मइया, सब के हवै दुलारी।
नव दिन बर माता रानी हर, आये हमर दुवारी।।
कतको धरती संकट आथे, तुरते ओला टारे।
रूप धरे काली माता के, दानव मन ला मारे।।
करे पाप कलयुग मा मानव, ओखर लाये पारी।
नव दिन बर माता रानी हर, आये हमर दुवारी।।
हे गणपति गणराज जी, आओ हमरे द्वार।
विनती मेरी आपसे, कर दो नैया पार।।
करते मिलकर प्रार्थना, और झुकाये माथ।
दे दो आशीर्वाद जी, अपने चारों हाथ।।
सेवा प्रतिदिन मैं करूँ, और लगाऊँ भोग।
स्वस्थ रहे अब देह भी, निकट न आये रोग।।
भर दो मुझमें ज्ञान जी, रोशन हो जग नाम।
रहे न कंटक राह में, नेक करूँ हर काम।।
भेदभाव है बढ़ रहा, होता अत्याचार।
लालच में आकर यहाँ, करते भ्रष्टाचार।।
आओ हे गणराज जी, मेरी सुनो पुकार।
मिट जाये सब क्लेश भी, विनती बारम्बार।।
सिद्धि विनायक आप हो, करते मंगल काज।
कलयुग दानव नाश हो, बचे हमारी लाज।।
निशदिन पूजापाठ हो, और लगाये ध्यान।
सेवा हो माँ बाप की, दे दो ऐसा ज्ञान।।
कहाँ गये वो दिन अब सारे, पास सभी जब आते थे।
कभी खुशी की बातें करते, गम भी कभी सुनाते थे।।
कलकल-कलकल बहती रहती, दिखती सुंदर हरियाली।
फूल खिले जब रंग-बिरंगे, झूमे पीपल की डाली।।
जामुन अमुआ अमरुद इमली, तोड़-तोड़ ले जाते थे।
कहाँ गये वो दिन अब सारे, पास सभी जब आते थे।।
मछली मेंढक सर्प केंचुआ, मस्त मजे से रहते थे।
उछल-कूद करते थे मिलकर, भाषा अपनी कहते थे।
स्वच्छ नीर की निर्मल धारा, अपनी प्यास बुझाते थे।
कहाँ गये वो दिन अब सारे, पास सभी जब आते थे।।
मानव जब भी गम में होते, शांत सभी को करती थी।
ठंडी ठंडी पवन चले जब, तन में आहें भरती थी।
बैठ किनारे बातें करते, हँसते और हँसाते थे।
कहाँ गये वो दिन अब सारे, पास सभी जब आते थे।।
सूखी-सूखी पड़ी अकेली, अब मानव भी मुख मोड़े।
नीर बहाती रहती हूँ मैं, जीव-जंतु मुझको छोड़े।।
पहले जैसी नहीं रही मैं, आकर गले लगाते थे।
कहाँ गये वो दिन अब सारे, पास सभी जब आते थे।।
हिन्दी दिवस पर विशेष
राघव ने अपने दोस्तों को बताया कि गाँव से उनकी दादी जी आई हुई हैं। उन्हे न्यूज पेपर पढने का बड़ा शौक है । इसलिये उसके घर मे हिन्दी का न्यूज पेपर आना शुरू हुआ है । कहानी की किताबे और हिन्दी के अखबार दादी जी पढ़ती रहती है। पेपर का एक एक कोना चाट डालती है तब जाकर उन्हे चैन मिलता है। कृष्णा बोला पर तुम तो पेपर कम पढ़ते हो तुम्हे इससे क्या मतलब है। हाँ भाई हमे तो अपनी पढ़ाई से ही फुरसत नहीं है हमे तो पेपर पढ़ने के लिये समय ही नहीं मिलता है लेकिन आज मैने हिन्दी के पेपर मे एक अजीब समाचार पढ़ा है इसी लिये लोकल एडमिनिस्ट्रेशन पर मेरे मन में सवाल उठ रहे हैं कि वह ऐसा कैसे कर सकते हैं . उसने जेब से मुड़े हुए अखबार का टुकड़ा निकाला जिस पर लिखा था "रामपुर मे रामस्वरूप ने चोरी की, फलस्वरूप पकड़ा गया"। यह कैसी नाइन्साफी है चोरी कोई करे और पकड़ा कोई और जाये। राघव के मित्र कृष्णा ने भी इस बात पर बहुत आश्चर्य जताया और उसने भी राघव की हाँ मे हाँ मिलाई । वह बोला हाँ यार यह तो बड़ी खराब बात है । उनके एक मित्र पत्रकार थे न्यूज पेपर मे उनके लेख छपते थे वे दोनो उसके पास गये उन्हें भी अखबार वह कोना दिखाया। वह मित्र बोला यार कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ किया होगा तभी फलस्वरूप पकड़ा गया है। लेकिन तुम्हे इससे क्या लेना देना है ? राघव को वाकई कुछ लेना देना नही था।
राघव ने घर लौट कर दादी जी से कहा दादी जी आप यह कैसा अखबार पढ़ती हैं उसमे तो सब उल्टा- सीधा लिखा रहता है। उसने फिर कहा, दादी जी आपके पेपर मे तो लिखा है रामस्वरूप ने चोरी की फलस्वरूप पकड़ा गया। दादी जी बोली ठीक तो है इसमे गलत बात क्या है ? राघव बोंला, गलत् नहीं है तो क्या है ,चोरी कोई करे और पकड़ा कोई और जाये। नहीं बेटा, दादी जी बोलीं, रामस्वरूप ने चोरी की इसके फल मे वह पकड़ा गया यह मतलब है। राघव दादी की बातों को सुन आश्चर्य से उन्हे देखता रहा . दादी बोली तुम्हारी अंग्रेजी शिक्षा का कमाल है जिसका तुम लोग बहुत ख्याल रखते हो परन्तु अपनी मातृभाषा के प्रति बहुत उदासीन हो जाते हो। अभी दो चार दिन पहले तुम्हारा दोस्त चित्त रंजन गुप्ता आया था। तुम्हारी छोटी बेटी से बोला कि कह दो सी आर गुप्ता आये है. तुम्हारी बेटी ने तोतली आवाज मे चिल्लांकर तुम्हे बताया था कोई सियार कुत्ता आये हैं तब गुप्ता जी का चेहरा देखने लायक था।।
शरद कुमार श्रीवास्तव
बहुत गरमी पड़ रही थी । पशुपक्षी पानी और छाया की तलाश मे बदहवास और बदहाल हो चले थे । नन्हा कबूतर अपने घोसले मे अपनी माँ का इंतजार कर रहा था। उसकी मम्मी उसे नहीं दिखाई दे रही थी। इसलिए कबूतर के बच्चे ने सोंचा कि मै थोड़ा बाहर निकल कर देखूं कि कहाँ क्या हो रहा है और उसकी मां कहाँ रह गई है।
नन्हे कबूतर के बच्चे ने जैसे ही अपने घोसले से पैर बाहर निकाला वह नन्ही चुनमुन की बालकनी के छज्जे पर आकर गिर पड़ा । नन्ही चुनमुन उस समय अपनी बालकनी के पौधों मे पानी डाल रही थी । उसके कानो मे कबूतर के उस बच्चे की चूँ चूँ की आवाज सुनाई पड़ी ।
नन्ही चुनमुन ने कौतुहल वश उस कबूतर के बच्चे से पूछा तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो और यहाँ पर आये कैसे ? नन्ही चुनमुन ने उससे पूछा तुम्हारे मम्मी पापा कहाँ हैं । कबूतर का बच्चा चूँ चूँ कर नन्ही चुनमुन को समझाने की कोशिश कर रहा था कि वह भी अपनी मम्मी की तलाश मे अपने घोंसले से बाहर निकला ही था कि वह ऊपर से नीचे लुढ़क कर तुम्हारी बालकनी मे आ गिरा ।
यद्यपि नन्ही चुनमुन को चूँ चूँ की महीन आवाज सुनाई नहीं दे रही थी पर उसके इशारे से समझ गई थी कि कबूतर के उस बच्चे का घर नन्ही चुनमुन की बालकनी के ऊपर बने घोंसले मे है । नन्ही चुनमुन अपनी मम्मी को बुला लाई और उनकी मदद से चुनमुन ने कबूतर के उस बच्चे को उसे घोंसले के बाहर पंहुचा दिया । कबूतर के बच्चे ने नन्ही चुनमुन को चूँ चूँ कर धन्यवाद दिया।
शरद कुमार श्रीवास्तव
अमर
और अकबर दोनों
9 क्लास में पढ़ते थे. दोनों रोज शाम में क्रिकेट खेलने जाते
थे. एक दिन जब अकबर मैदान के बाउंड्रीवाल के पास फ्ल्डिंग कर रहा था तो उसे
बाउंड्रीवाल के उस पार से कुछ लोगों की आवाज सुनाई दी जिसमें “लड़की का किडनैप” शब्द सुन कर वो चौक गया. उसे लगा मामला कुछ गड़बड़ है. वह बाउंड्रीवाल से सट कर ध्यान से
उनकी बात सुनने लगा. उनकी बातों से अकबर को समझ आया कि इन बदमाशों ने शहर के राजेश वर्मा नाम के
किसी व्यक्ति की बेटी का अपहरण किया है और उनसे फिरौती मांगने वाले हैं, उसी की प्लानिग कर रहे हैं कि कैसे और
कहां फिरौती की रकम लेकर आने को कहें. अकबर उनकी प्लानिग सुन पाता इससे पहले
ही बैट्समेन ने इतनी जोरदार शाट मारा कि बॉल हवा में उड़ती हुई तेजी से उन अपहरणकर्ताओं के ऊपर जा गिरी. अकबर तुरंत बाउंड्रीवाल पर चढ़ कर दूसरी तरफ झाँक कर बोला “सॉरी अंकल, हम मैदान में क्रिकेट खेल रहे है तो
गलती से बॉल आप लोगों को लग गयी.” अकबर उन लोगों से बात जरुर कर रहा था
लेकिन बहुत ध्यान से उन अपहरणकर्ताओं के चेहरों को देख लेना चाहता था. अपहरणकर्ताओं ने गुस्से से अकबर को
देखा और बॉल उसकी तरफ उछाल कर सभी ने आखों ही आखों में इशारा किया और वहाँ से चले
गए.
अकबर
तुरंत अमर के पास गया और अपहरणकर्ताओं से सुनी बात बताई. अमर ने कहा “हमें जल्दी ही पुलिस थाने चलना चाहिए.” वहाँ पहुँच कर इंस्पेक्टर अंकल को पूरी
बात बताई. इंस्पेक्टर अंकल ने कहा “तुम दोनों ने ये सब बता कर बहुत अच्छा
किया. अकबर बेटा ये बताओ कि तुमने तो उन अपहरणकर्ताओं को देखा है, तो क्या तुम्हें उनमें से किसी का
चेहरा याद है ताकि हम उनका स्कैच बना कर उन्हें पकड़ने की कोशिश करेगें. तबतक मैं पता करता हूँ कि राजीव वर्मा
कौन है और क्या सच में उनकी बेटी का अपहरण हुआ है.” “अंकल वो 5 लोग थे लेकिन मुझे सब का चेहरा तो याद
नहीं है पर दो लोगों का चेहरा मैं कभी भूल नहीं सकता हूँ.” अकबर ने चित्रकार को बताया कि एक
व्यक्ति के माथे पर एक लम्बा निशान है जबकि दूसरे आदमी के बाए हाथ में मगरमच्छ
का टेटू
था और
उसके सारे बाल एकदम सफ़ेद थे.
इंस्पेक्टर
अंकल ने हैडआफिस से पता किया तो उन्हें जानकारी मिली कि शहर के बिजनेसमैन राजीव
वर्मा की बेटी का अपहरण हुआ है और अपहरणकर्ताओं ने फिरौती में एक करोड़ रूपए मांगें
हैं जो उन्हें 5 दिन के अन्दर देने हैं. इंस्पेक्टर अंकल ने दोनों अपहरणकर्ताओं के स्कैच को शहर के सभी थानों में भेज
दिया. इंस्पेक्टर अंकल ने अकबर से कहा “बेटा तुम मुझे उस जगह ले चलो जहाँ
तुमने अपहरणकर्ताओं को बात करते हुये सुना था.”
अकबर
ने इंस्पेक्टर अंकल वो जगह दिखायी. इंस्पेक्टर अंकल ने दोनों बच्चों से कहा “तुम दोनों घर चले जाओ, आगे की खोजबीन हम करेगें.” पुलिस अपने साथ उनका ट्रेंड किया हुआ
खोजी कुत्ता लेकर आई थी. खोजी कुत्ते ब्रूनो ने जगह को सूंघा और
पास की बस्ती की और चल पड़ा. फिर एक बंद मकान के पास जा कर ब्रूनो रुक
गया. पुलिस ने घर की खुली खिड़की से अंदर झाँक कर देखा तो लगा कि वहाँ कोई
रहता है. इंस्पेक्टर अंकल ने सादी वर्दी में कुछ पुलिस वालों को उस घर के
आसपास निगरानी रखने को कहा. उसी दिन रात को एक व्यक्ति उस घर में
आया. आसपास तैनात पुलिस ने उसे पकड़ लिया. इस व्यक्ति का चेहरा दोनों स्कैच में से एक अपहरणकर्ता के चेहरे से बिलकुल मिल रहा था. इसके भी माथे पर एक लम्बा निशान था. उस व्यक्ति को लेकर पुलिस थाने आ गयी. जब इंस्पेक्टर अंकल ने उससे पूछताछ की
तो उस व्यक्ति ने कबूल किया कि उसने और उसके साथियों ने मिल कर बिजनेसमैन राजीव
वर्मा की बच्ची का अपहरण किया है और उनसे 1 करोड़ की
फिरौती मांगी है. फिर उस अपहरणकर्ता ने उस जगह का पता भी बता दिया जहाँ बच्ची को रखा गया था. बाद में पुलिस ने बाकी अपहरणकर्ताओं को
भी पकड़ लिया और बच्ची को छुड़ा कर उनके माँ-पापा को सौप दिया.
इंस्पेक्टर
अंकल ने अमर और अकबर को थाने बुला कर बहादुर बच्चों का ख़िताब दिया, वही बिजनेसमैन राजीव वर्मा ने बच्चों
को बहुत सारी किताबें और एक-एक साइकिल गिफ्ट की.
उपासना बेहार
भोपाल
ई मेल – upasanabehar@gmail.com