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गुरुवार, 16 मार्च 2017

सुशील शर्मा की हाइकु रचना : नीड़ घोसला





नीड़ घोंसला








नीरव नीड़
चिरवा चिरइया
अकेले बचे।

प्यारा घोंसला
तिनकों से बनाया
नेह से सजा

मैं चिड़िया सी
उड़ी आसमान में
नीड़ ढूंढती।

जीव है पंक्षी
शरीर है घोंसला
उड़ जाना है।

हम हैं पंछी
मिलकर रहते
एक नीड़ में।

नीर निर्माण
तृण से विनिर्मित
प्रेम अर्पित।

मन का नीड़
धूप लिए आँचल
छाँव तलाशे।

सजा है नीड़
अनुकंपित स्वर
प्रतीक्षारत।

                             सुशील  शर्मा 

(तेजी  से  ख्याति प्राप्त  करने  वाले राष्ट्रीय  स्तर  के  कवि )

टिप्पणी  : हाइकु  एक जापानी  काव्य  विधा है   जिसमे  5/7/5 अक्षरों का क्रम  होता  और दो  बिम्ब  होते  हैं 

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