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शनिवार, 6 मई 2017

प्रभु दयाल श्रीवास्तव का बालगीत : चने और नाक

   

 
 अम्मा ने डाँटा टुल्ली को,
      तेवर कड़े दिखाए।
      अगर नहीं कहना माना तो,
      नाक चने चबवाये।

      टुल्ली बोली मुझे बनाय  
     क्यों इस तरह निकम्मा।
      चने नाक से चबते कैसे,
      नहीं जानती अम्मा।

      तुम्हीं नाक से चने चबाकर,
      मुझको जरा बताओ।
      नाक चने के इस प्रयोग को,
      दुनियां को समझाओ।

    अम्मा पर ही इस मुहावरे ,
   का प्रयोग अब भारी
  क्या जबाब दे इस कारण से,   
   है  चुप चाप बेचारी

प्रभु दयाल श्रीवास्तव
12 शिवम सुन्दरम नगर
छिन्दवाडा
मध्य  प्रदेश 

2 टिप्‍पणियां:

  1. बाह! बाह!
    क्या बात है ! मुहाबरे भी कैसे कैसे मुसीबत में देते हैं!
    बधाई, सार्थक रचना के लिए!

    जवाब देंहटाएं
  2. बाह! बाह!
    क्या बात है ! मुहाबरे भी कैसे कैसे मुसीबत में देते हैं!
    बधाई, सार्थक रचना के लिए!

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