अक्षय घट
एक नगर में चंदर नाम का लड़का अपनी बूढ़ी माँ के साथ रहता था । गरीब होने के कारण बह बहुत दुखी रहता, पर आलस के कारण कोई भी मेेहनत का काम नहीं करना चाहता था । माँ हमेशा उसे समझाती की बह' हाथ पर हाथ धरे 'क्यों बैठा रहता है? कोई काम करने की कोशिश क्यों नहीं करता । बह बस अपने भाग्य को कोसता कि मुझे ऐसे घर में क्यों जन्म दिया जहाँ जीवन की कोई सुख -सुविधा नहीं है ।
एक दिन दुखी होकर उसने अपना जीवन समाप्त करने की सोची । बह घर से बहुत दूर निकल गया, चलते चलते एक आश्रम के पास पहुँच कर रूक गया । भूख के मारे 'पेट में चूहे कूद रहे थे !' बेहाल होकर गिर गया । निरंजनी साधु ' चरण दास ' जी उस स्थान पर साधना करते थे । उन्होंने उसे बेसुध देख कर उठाया, और अपने आश्रम में रहने की जगह दी । उसकी सारी कहानी सुन कर उन्होंने कहा, 'अरे! मूर्ख, मरना तो बड़ा आसान है, पर जीना ही तो सबसे बड़ी तपस्या है । जीवन परमात्मा का उपहार है, इसे नाश करना सबसे बड़ा पाप है ।' उस लड़के ने कहा में अपनी माँ को कुछ भी सुख नहीं दे पाया, अब मुझसे यह सब सहा नहीं जाता । इसलिए में अपना जीवन खत्म करना चाहता हूँ ।
साधु ने उसे समझाते हुए कहा कि "ठीक है, मेरे पास एक ऐसा 'घट ' है जो इंसान की सब जरूरत पूरी कर देता है! पर यदि बह टूट-फूट जाए बह जो उससे मिला है बह सब भी खत्म हो जाएगा । मैंने इस घड़े को बनाने की विद्या अपने गुरूजी की सेवा से पायी है । तुम्हें मेरे पास कुछ दिन रहकर सेवाएं देनी होंगी ।
अगले तुम मेरे पास रहो तो में तुम्हें "अक्षय घट " बनाने की कला भी सिखा दुंगा! पर इसके लिए तुम्हें यहाँ पाँच साल रहना होगा ।
लड़के ने कहा कि मुझे तो आप बह 'अक्षय घट' ही दे दें । में बहुत सम्हाल कर रखूंगा । जरा भी ठेस नहीं लगने पायेगी । कुछ समय के बाद बह "घट " लेकर लौटा!
अब तो कुछ दिनों में ही उसके सब साधन आगये । जो चाहिए बह घट से माँग लेता । धीरे -धीरे उसका आलस्य बढ़ता ही गया । "अक्षय घट " को बहुत सम्हाल कर रखता । धीरे -धीरे विलासी हो गया । सभी दुर्गुणों में डूबता गया । एक दिन नशे में ठोकर खाकर खुद "अक्षय घट"पर गिर गया । गिरते ही घट के टुकडे -टुकड़े हो गए । उसके साथ ही जादूई दुनिया भी गायब हो गई ।
अब तो बह बहुत पछताया कि काश में "घट बनाने का कौशल सीख लेता तो ,आज में इतना बेकार नहीं रहता । "
जीवन में विद्या एवं कौशल का महत्व उसे समझ आचुका था ।
सियाराम शर्मा
डीडवाना जिला नागौर,
राजस्थान
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