एक बहुत बड़ा जंगल था। उसमे शेर और कई जानवर रहते थे।शेर जो जंगल का राजा कहलाता है, बड़ा ही आलसी था कुछ काम नहीं करता था। बस सारा दिन आराम से सोता रहता था।
उसका एक बेटा था, बहुत छोटा था पर अपने पिता की सेवा खूब करता था। नाम भी छोटू था।
एक बार शेर चाचा को भूख लगी। शेर ने छोटू को पुकारा और कुछ खाने को लाने के लिये कहा।
छोटू शिकार की तलाश मे निकला। उसे सबसे पहले बिल्ली मौसी मिली। वह उसे शेर चाचा के पास ले गया। शेर चाचा बहुत भूखा था। उसने एक ही झटके मे बिल्ली को दबोच लिया। यह देखकर छोटू बहुत दुखी हुआ। वह बिल्ली मौसी से बहुत प्यार करता था।
दूसरे दिन छोटू फिर शिकार के लिये निकला। लेकिन इस बार किसी जानवर को नहीं पकड़ा। हर जानवर के लिये उसके मन मे दया उमड़ पड़ी थी।
शेर चाचा के पास न जाकर सब दोस्तों को बुलाकर सभा की और तय किया कि अब शेर चाचा के पास नहीं जायेंगे और अपना भोजन खुद पकाकर हम सब एक साथ खायेंगे और आराम से रहेंगे। बहुत हो चुका। अब शेर चाचा की मर्जी नहीं चलेगी।
उधर शेर इन्तज़ार कर रहा था छोटू का पर वह नहीं आया। खाना न मिलने के कारण शेर चाचा की कमजोरी बढ़ती जा रही थी। आलस की वजह और भूख की वजह से शेर की हालत बिगडती गई और एक दिन वह चल बसा।
बच्चों इस कहानी से यह सीख मिलती है कि़़़
१)आलस बहुत बुरी आदत है। सब काम समय से करो।
२)सब जीवों पर दया करनी चाहिये।
मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार
३३ विवेकानन्द एन्क्लेव
जगजीतपुर, हरिद्वार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें