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शनिवार, 16 सितंबर 2017

- हिना जैन, गुड़गांव की कविता : नीला-नीला आसमान



यह नीला-नीला आसमान

है कोई नहीं इसके समान

यहाँ परिंदे लेते ऊँची उड़ान

इसे जाति-धर्म की नहीं पहचान

कभी सूरज, कभी सितारे

और कभी खूबसूरत चाँद

इस आसमान की

हैं अनोखी शान

मौसम के बदलते रंग

दिखते चंदा के संग

कभी चाँदी सा कभी सुनहरा

होता जब सितारों का पहरा

और होते ही भोर

सूरज लाता उसमे उजाला है

तुम ही देखो इस आसमान का

ढंग कितना निराला है।


                                    हिना जैन, गुड़गांव



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