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शनिवार, 16 मार्च 2019

होली का हुड़दंग शरद कुमार श्रीवास्तव





 आयुष  घर मे जैसे ही  घुसा, सारा घर हँस  पड़ा।   वह बाहर से एकदम काले मुहँ वाला बन्दर बन कर आया  था       बाहर  रोड  पर   किसी ने  उसके  चेहरे  पर  काला रंग लगा दिया  था ।   सबको हंसता हुआ देख कर आयुष  के  पापा बोले  आप सब क्यों  हँस  रहे  हैं  ।   मनीष  बोल पड़ा  कि किसी  बच्चे  ने आयुष के  चेहरे पर  काला रंग पोत  दिया  है जिसको देखकर हम सबको हंसी आ गई । 


मनीष फिर बोला, हमारी  कालोनी  में  तो सब लोग  सफाई  से होली खेलते हैं कोई  गन्दे रंगों  से नही खेलता  है ।  पापा   आयुष से पूछो यह मेन  रोड की तरफ होली  खेलने  गया  ही क्यों  था ।   पापा  ने कहा कि हाँ  ठीक ही तो   है  कि  होली के  हुड़दंग  मे छोटे  बच्चों  को  बहुत  एहतियात  के  साथ  होली  खेलना चाहिए  ।  बच्चों  की  त्वचा  बहुत  कोमल होती है  और  हुडदंग  में  लोग खराब  रंगों  का  भी  इस्तेमाल करते हैं  जिससे त्वचा में इंफेक्शन  होने  का  डर रहता  है  ।   इसीलिए  मैंने  तुम सब  लोगों  को हाथ   और मुंह  मे  मास्चराइजर  तथा  बालों  में जैतून का तेल  लगवाया था

मनीष  बोला  कि   पापा होली  तो मेल मिलाप और प्रेम - सौहार्द  का त्योहार  है।   हमे सूखे  अबीर गुलाल  से  होली खेलना  चाहिए  ।    पापा आगे  बोले, हमे प्राकृतिक  रंग  भी उपलब्ध  हैं  जैसे  टेसू के  फूल इत्यादि जो  गांवों  में पेड़ों पर ताजे मिल  जाते हैं  और शहरों में  पंसारी की  दुकानों  पर  भी  मिल  जाते उनका गीला रंग  बना  कर  होली खेलने  का  मजा ही   कुछ  और है  ।
मम्मी  ने, तबतक, पकवानों  के  साथ  खाना  भी  लगा  दिया  ।   आज के  दिन  तरह  तरह के  पकवान  बनते हैं  और घरों मे होली मिलने के लिए जाने पर सब जगह   थोड़ा  बहुत  तो खाना  ही  पड़ता  है  इसलिए  मम्मी  ने  खाने  की  टेबल पर  कहा  कि  बच्चों  बाहर अधिक   खाना खाने  से  बचना  अगर  खाना  ही  पडे तो बिल्कुल  नाममात्र  ही  खाना  चाहिए ।
  शाम  को  घर के  सब लोग  दादी  बाबा  के  घर  पर  गये दादी  बाबा  ने सब बच्चों  को  गले लगाया  और होली का  उपहार  दिया। 



          शरद कुमार श्रीवास्तव


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