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बुधवार, 6 मार्च 2019

बुद्धिमान नमन : बालकथा : रचना श्रीमती मंजू श्रीवास्तव



नमन बचपन से ही बहुत होशियार था| उसके माता पिता ने उसे गुरुकुल भेज दिया था पढ़ाई करने के लिये |
  गुरुकुल मे नमन  गुरुओं की देखरेख मे बहुत कुशल छात्र बन रहा था|
  एक दिन गुरु जी ने सभी छात्रों की परीक्षा लेने का विचार किया |
   सभी छात्रों को एक़ एक घड़ा देरर तालाब से पीने का साफ पानी लाने को कहा|
सभी छात्र तालाब से पानी भरकर ले आये | लेकिन नमन अभी तक नहीं आया था|
कुछ देर प्रतीक्षा के बाद नमन भी आ गया | गुरु जी ने सब घड़ों का पानी देखा , बहुत गंदा था | लेकिन नमन के घड़े मे पानी बहुत साफ था |
गुरुजी ने छात्रों से पूछा  एक बात बताओ कि नमन को छोड़कर सब
के घड़े का पानी इतना गंदा क्यों है?
सभी लोग तो उसी तालाब से पानी लाये हो |
सब छात्रों ने कहा हम जल्दी से अपने अपने घड़े भरकर ले आये|
नमन ने कहा गुरुजी, मै थोड़ी देर वहाँ बैठा रहा कि पानी की गंदगी नीचे बैठ जाय, तब मै घड़ा भरूँ |
इसलिये मेरे घड़े का पानी साफ है |
गुरुजी बहुत खुश हुए| नमन को बहुत आशीर्वाद दिया और कहाआगे चलकर तुम बहुत बड़े ज्ञानी बनोगे|
तुमने अपनी बुद्ध से काम लिया|
गुरुजी ने आगे छात्रों से कहा, कोई भी काम करो धीरज के साथ करो | जल्दी बाजी मे कोई भी काम नहीं करना चाहिये | जो धैर्यपूर्वक काम करता है वही सफल होता है |



                           मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार

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