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मंगलवार, 26 मार्च 2019

बाल कविता (बुन्देली ) : सुशील शर्मा





        होली



मैया मैं राधा सङ्गं होरी खेलन जेहों
गोरी गोरी राधा को खूबई रंग लगेहों।

माखन दे दे मैया मुझको ,
भूख बहुत लग रई है।
होली खेलन मोहे जाने ,
ढोलक जा बज रई  है।

तिनिक तिनिक धिन धा धा करके
खूबई नाच नचे हों।
मैया मैं राधा सङ्गं होरी खेलन जेहों।

ग्वाल बाल सब रंग रंगें हैं
उड़ रयो लाल गुलाल।
कुई कुई को मो कारो कारो
कुई कुई को है लाल।

बलदाऊ बच कर है भागो
बाहे ढूंढ रंगेहों।
मैया मैं राधा सङ्गं होरी खेलन जेहों।

आज बिरज में होली रे भैया
रंगें हैं लोग लुगाई।
लाल गुलाल उड़े गलियों में ,
हो रई गीत गवाई।

राधा गोरी के गालों पर
नेह को रंग लगेहों।
मैया मैं राधा सङ्गं होरी खेलन जेहों।


                     सुशील शर्मा

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