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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

आओ बुने कहानी एक प्रभुदयाल श्रीवास्तव



एक कहानी जिसमें नाना,
के संग नानी जाएँ मेले।
किसी चाट के ठेले पर जा,
आलू छोले खाएँ अकेले।
पीछे- पीछे हम जा पहुँचें,
फोटो खींचें उनकी एक।


     एक कहानी जिसमें दादा,
     दादी दौड़ें कुर्सी दौड़।
     दो के बीच एक कुर्सी हो,
     मिले एक को ही बस ठौर।
     उन दोनों में जो भी जीते,
      हम सब उनसे माँगें केक।





एक कहानी जिसमें हर दिन,
धूम मचे हो हल्ला हो।
घर के सब बच्चों के मुँह में,
बरफ़ी हो रसगुल्ला हो।
बूढ़े बड़े बाल सब खेलें,
खेलें तकिया फेकम फेक।



प्रभूदयाल श्रीवास्तव
छिंदवाड़ा

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