एक घने जंगल में बहुत सारे जानवर जैसे खरगोश, कछुआ ,बन्दर, हाथीऔर हिरन मिलजुल कर रहते थे। वहीं पर जंगल का राजा शेर भी रहता था।अभी कुछ ही दिनों में सबकी गर्मी की छुट्टियाँ होने वाली थी , मगर अब सब ये सोचकर परेशान थे कि छुट्टियों में करेंगे क्या? हिरन कहता है , " कि हाथी दादा हम तो छुट्टियों में खूब मस्ती व पार्टी करेंगे " ,तभी बन्दर बोल पडता है कि , " अरे! नहीं- नहीं , तुम्हे पता नहीं क्या शेर महाराज का घर भी यहीं आस- पास है। जब हम पार्टी करेंगे और कहीं उन्हें पता चल गया तो, वह तो हम सभी को जंगल से बाहर निकाल देंगे ।"
तभी खरगोश भी बोलता है," हाँ भई , बात तो ठीक ही है । चलो अब अपने- अपने घर चले मुझे तो बहुत जोरों से भूख भी लगी है।" इतना कहते ही सब अपने अपने घर लौट जाते हैं।
अब कुछ दिनों बाद सबकी छुट्टियाँ हो जाती है और सभी अपने- अपने घरों में चुपचाप बैठे होते है।
दूसरी ओर शेर को यह देखकर हैरानी होती है कि जंगल में कोई शोर-शराबा ही नहीं है चारों ओर शांत वातावरण है। वह अपने सिपाहियों से पूछता है कि , " जंगल में इतना सन्नाटा क्यों है?" तभी शेर को सामने से आती हुई लोमड़ी चाची दिखाई देती है ।
लोमड़ी जंगल पहुँच कर यह खुशखबरी सबको देती है । अब खरगोश, कछुआ और हिरन आदि सभी जानवर खुश हो जाते हैं और उसी शाम सब मिलकर एक पार्टी आयोजित करते है जिसमें खरगोश गाजर का हलवा ,बन्दर केले की चाट,लोमड़ी चावल की खीर व हाथी दादा सभी बच्चों के लिए चाऊमीन, डोसा,दाल-मक्खनी और नान लेकर आते है, पर जैसे ही उनकी पार्टी आरम्भ होती है सभी शेर को वहाँ आता देख हैरान और शांत हो जाते है पर ये क्या ! शेर तो वहाँ पहुँचते ही नाचना आरम्भ कर देता है और कहता है, " चलो-चलो जल्दी से पार्टी आरम्भ करो।" ये सुनते ही सभी जानवरों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और सभी ने नाचना आरम्भ कर दिया । इस प्रकार सभी ने मिल-जुल कर छुट्टियों का लुत्फ उठाया।
अंजू जैन गुप्ता।
गुरुग्राम
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