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शुक्रवार, 26 जून 2020

कौवे और मुर्गी की साझा खेती



बच्चों आप जानते हो कि साझा काम किे से कहते हैं .  जब दो या कई लोग मिल कर एक काम को करें तो साझा काम कहते है.  साझा काम मे पार्टनर लोगो को अपना अपना साझा लाभ / हानि भी मिलता है.
एक बार एक पेड़ पर एक कौवा रहता था.  उस पेड़ के नीचे एक मुर्गी भी अपने बच् के साथरहती थी.  मुर्गी बहुत मेहनती थी और कौवा बहुत चालाक था.  कौवे ने एक बार मुर्गी से कहा ,बहन अगर हम साझा खेती करें तो कितना अच्छा हो.  मुर्गी ने कहा हाँ , मिलजुल कर काम करने मे क्या बुराई है मै तैयार हूँ. कौवा बोला मै थोड़ा बिजी रहता हूँ जब कोईकाम हो तब आप मुझे बुला लीजियेगा.
खेती करने के लिये जमीन की जुताई करने का समय आया. मुर्गी ने आवाज लगाई आओ जमीन की जुताई करवाओ आकर.  कौवा बोला  ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं .. मुर्गी ने खेतों की जुताई कर ली.
जब जमीन से घास पूस दूर करने का समय आया. मुर्गी ने आवाज लगाई आओ जमीन की खर पतवार हटवाओ, कौवा बोला  ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं ..  मुर्गी ने खेतों से खर पतवार भी दूर कर दी.
अब खेत मे बीज डालने का समय आया. मुर्गी ने आवाज लगाई आओ जमीन मे बीज डाले जायें.  कौवा फिर बोला  ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं ..  मुर्गी ने खेतों मे बीज भी बो दिये.
पौधे निकल आये तब सिचाई करने का समय आया. मुर्गी ने आवाज लगाई आओ जमीन की सिंचाई करवाओ आकर.  कौवा बोला  ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं ..  मुर्गी ने खेतों की सिंचाई कर ली.
खेतो मे लगे गेहूँ की बालियाँ  काटने का समय आया. मुर्गी ने आवाज लगाई आओ गेहूँ कटवाओ . तब फिर कौवा बोला  ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं ..  मुर्गी ने गेहूँ की कटाई भी कर ली
गेहूँ की बालियाँ  से गेहूँ निकालने का समय आया .   मुर्गी ने आवाज लगाई आओ गेहूँ निकलवाओ . तब फिर कौवा बोला  ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं ..  मुर्गी ने गेहूँ की बालियों से गेहूँ भी निकाल  लिया.
गेहूँ पीस कर आटा बनाने का समय आया. मुर्गी ने आवाज लगाई आओ गेहूँ पिसवाओ. तब फिर कौवा बोला  ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं ..  मुर्गी ने गेहूँ पीस कर आटा भी बना ऌिया.
मुर्गी आटे से पूड़ी बनाने लगी तब फिर उसने आवाज लगाई आओ पूड़ी बनवाओ . तब फिर कौवा बोला  ऊँची डाल पेंर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं ..  मुर्गी ने आटा सान कर पूड़ी भी बना ली
जैसे ही पहली पूडी कड़ाई से निकली कौवा नीचे आगया.  बोला लाओ पूड़ी लाओ बहुत भूख लगी है.  मुर्गी नपे एक डंन्डाफेक कर कौवे को मारा कि काम कुछ नहीं किया पूडी बटाने आ गया.   तुझे कुछ नहीं मिलेगा पूड़ी मैं खाऊंगी और मेरे बच्चे खाएगे. कौवा रोता हुआ वहाँ से भाग गया।।

शरद कुमार श्रीवास्तव 



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