आज जुडा़ इतिहास में,नूतन स्वर्णिम सर्ग।
तीर्थ अयोध्या घाम में,जैसे उतरा स्वर्ग।
शिलान्यास की शुभ घड़ी,भक्तों में उल्लास।
अद्भुद,अनुपम,भव्यतम,होगा राम निवास।
भजन,कीर्तन,शंख ध्वनि,घर-घर मंगल दीप।
नयन बसी छवि राम-सिय,हिय में प्रेम प्रदीप।
राम-जानकी लक्ष्मण,पवन तनय हनुमान।
अवध नगर पुनि आइये,कृपा सिंधु भगवान।
चरण-कमल हैं धो रहे,सेवक हनुमत वीर।
राम-जानकी के चरण,पावन सरयू नीर।
द्वार-द्वार मंगल कलश,दीप आरती थाल।
तोरण,वंदन वार नव,स्वागत द्वार विशाल।
शांति,सुमंगल,मोक्ष प्रद,अवध पुरी शुभ धाम।
जहाँ विराजीं जानकी,सृष्टि नियंता राम।
👉श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
रावगंज,कालपी,जालौन(उ०प्र०)
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