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रविवार, 16 अगस्त 2020

संयुक्त परिवार : प्रिया देवांगन प्रियू की रचना




चूस चूस कर फूलों का रस , मधुमक्खी शहद बनाते हैं।
दादा दादी उसी तरह , संयुक्त परिवार बनातें हैं।।
बच्चों की किलकारी , दादा दादी का प्यार।
ऐसे ही मधुर है , मेरा सँयुक्त परिवार।।

ताऊ जी की कहानी , चाचा जी का दुलार।
मीठे मीठे शहद की तरह , हैं हमारा परिवार।।

सब मिलकर साथ रहते , करते हँसी ठिठोली।
छोटे छोटे बच्चों की , मीठी लगती है बोली।।

एकांकी जीवन मे रह कर , बच्चे आज कल भूल रहे।
अपने धुन में मगन हो गये , किसी की नही सुन रहें।।

संयुक्त परिवार कहां है पाते , नही मिलता सब का साथ।
जिंदगी जीने की चाह में , भूल गयें है बढ़ाना हाथ।।




प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
छत्तीसगढ़


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