क्यों तोते को कैद किया है?
बोलो - बोलो बुआ जी,
क्योंइसको ये सजा मिली है?
बोलो - बोलो बुआ जी।
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तार पकड़ कर ऊपर नींचे,
गिरता चढ़ता रहता है,
कब इससे बाहर निकलूंगा,
यही सोचता रहता है,
कब इसको आज़ाद करोगी,
बोलो - बोलो बुआ जी।
बिखर गया है रोटी दाना,
पानी नहीं कटोरी में,
हरी मिर्च भी सूख चुकी है,
भूखा है मजबूरी में,
किसने पूछा भूख लगी है,
बोलो - बोलो बुआ जी।
उड़ते सब तोतों से कहता,
मैं हूँ बेबस बंद पड़ा,
तुम ही आकर के बतलाओ,
कैसे काटूं फंद बड़ा,
बुरा नहीं लगता क्या तुमको?
बोलो - बोलो बुआ जी।
आज़ादी सबको भाती है,
तुमको भी भाती होगी,
क्या तोते को ही आजीवन,
सजा रास आती होगी,
कब इसपर उपकार करोगी,
बोलो - बोलो बुआ जी।
बढ़ करके दरवाजा खोला,
पिंजड़े से आजाद करो,
खुशी - खुशी अम्बर में उड़ने,
जीवन को आबाद करो,
फिर कब अत्याचार करोगी,
बोलो - बोलो बुआ जी।
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
मो0-9719275453
दिनांक- 18/08/2020
Wah wah...bahut khoob...
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