छन्न पकैया छन्न पकैया , सबको लगती प्यारी।
रहती है घर के आँगन में , होती सबसे न्यारी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , गौ माता कहलाती।
साथ साथ दोनो ही रहकर , अपना मन बहलाती।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , हरे घास को खाती।
दूध दही वह सबको देती , खुशियाँ भी फैलाती।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , लाली भूरी होती।
दिन भर विचरण करती वन में , गौशाला में सोती।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , कभी साथ ना छूटे।
माँ की ममता होती प्यारी , प्यार सदा ही लूटे।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला- कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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