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शनिवार, 5 दिसंबर 2020

व्यर्थ न तोड़ो फूल!(बाल रचना) रचना वीरेन्द्रसिंहबृजवासी-

 


जान बूझकर तुम बगियासे

व्यर्थ     न    तोड़ो     फूल

अद्भुत ईश्वर की  माया को

कभी     न     जाना   भूल।

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रंग-बिरंगे  फूल   हर  घड़ी

देते          हमें        सुगंध

वातावरण  सुहाना   करके

दूर           करें         दुर्गंध

फूल तोड़ने  से  बगिया  में

रह          जाएंगे       शूल।


टहनी पर फूलोंका खिलना

सबको        भाता         है

असमय ही मिट्टीमें मिलना

दुख        पहुंचाता        है

मौसम का  आभास कराते

तरह- तरह      के     फूल।


फूलों सी कोमलता रखना

लगता       अच्छा        है

शब्द-शब्द पंखुरियों  जैसा

लगता        सच्चा        है

फूलों सा व्यवहार सभी के

होता        है       अनुकूल।


सुंदर  फूलों  की  घाटी  सा 

चमके       अपना       देश

तन-मन  सुंदर करने  वाला

हो         नूतन       परिवेश

पाखण्डों की बढ़ोत्तरी  को 

कभी      न    देना     तूल।


आओ हम मिलकरके ऐसा

कदम         उठाते         हैं

फूल सुरक्षित करके बगिया

को         चमकाते         हैं

फूलदार पौधों की  मिलकर

चलो        बनाएं        गूल

      



             वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी

                 मुरादाबाद/उप्र,

    मोबा-    9719275453

   दिनांक-   01/12/2020

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