रहते हैं सब दूर दूर पर।
मन में कमल खिलते हैं।।
वाट्सप का कमाल तो देखो।
एक जगह सब मिलते हैं।।
सुबह सुबह जब आंँखें खुलती।
झट से मोबाइल देखते हैं।
सुप्रभात और गुड़ मॉर्निंग का।
मैसेज सबको भेजते हैं।।
चाय की प्याला लिये हाथ में।
की बोर्ड पर ऊँगली रहता है।
चाय की चुस्की मार मार कर।
हाय हैलो सब करता है।।
कोई बन्दा सीधा साधा।
कोई बहुत है खाटी।
सबको प्रणाम करने आया।
छत्तीसगढ़ का "माटी"।।
रचनाकार
महेंद्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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