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बुधवार, 16 जून 2021

चींटी रानी वीरेन्द्र सिंह बृजवासी की बाल रचना

 




चींटा  बोला  बड़े  प्यार  से,

सुन    लो     चींटी     रानी,

हम  बबलू  के  घर  खाएंगे,

घी,     शक्कर     मनमानी।


आने  वाला  है  बारिश  का,

मौसम    तनिक     विचारो,

करें   इकट्ठा   खाना - दाना,

भरकर    रख    लें    पानी।


मरे हुए  कीटों  को भी  हम,

अपने    बिल    में      लाएं,

कल के  लिए इकट्ठा  करके,

रख    लें    दिलवर   जानी।


चूक  गए  अवसर तो  बच्चे,

भूखे          मर        जाएंगे,

आलस कभी न अच्छाहोता,

कहते      ज्ञानी   -    ध्यानी।


मैं  भी   कैसे   कर   पाऊंगा,

सारा        काम       बताओ,

तुम   अंडों   पर    बैठी-बैठी,

बनती        रहो       सयानी।


चीटीं     बोली    चींटे   राजा,

मुझे       यही      चिंता     है,

लक्ष्मण  रेखा पार   करी  तो,

होगी         जान       गवानी।


लालच   बुरी  बला  है  बच्चो,

इसमें     कभी     न     आना,

लालच  के   फंदे   में   पड़ना,

होती           है         नादानी।

          



            वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"

                मुरादाबाद/उ,प्र,

                9719275453

                 

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