गुलाबी ठंड
चलती पुरवाई
गुदगुदाती।।
ओस की बूंँदें
धरती पर आती
मन लुभाती।।
वातावरण
दिखते उपवन
आनंद आये।।
कोहरा छाये
धुँधला चहुँओर
धुआँ ही धुआँ।।
सूर्य निकला
पंछी चहचहाये
उड़े गगन।।
रचनाकार
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
Priyadewangan1997@gmail.com
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