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रविवार, 26 फ़रवरी 2017

शबनम का बस्ता

इसी वर्ष पहली कक्षा में
उसका नाम लिखाया है
नया-नया बस्ता शबनम को
अब्बा ने दिलवाया है।
रंग-बिरंगे, सुन्दर-सुन्दर
छपे हुए हैं उसमें फूल
रोज़ टांगकर, हँसते-हँसते
शबनम जाती है स्कूल।


                        शादाब आलम
(बच्चों  के  साहित्य  के  लिए  उत्तर  प्रदेश  हिन्दी  संस्थान  से वर्ष  2016 के लिए  ₹51000/- के  पुरुस्कार  से सम्मानित )
                        लखनऊ 

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