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सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

शादाब आलम का बालगीत : बन्दर को सबक



बन्दर को सबक



मधुमक्खी का छत्ता, बन्दर
ने जब छुआ-गिराया
तो मधुमक्खी सेना ने फिर
उसको सबक सिखाया।
सुनी एक न उसकी, बन्दर
करता रहा चिरौरी
छेद-छेदकर बेचारे की
कर दी नाक फुलौरी

                        शादाब  आलम 


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