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सोमवार, 6 मार्च 2017

महेन्द्र देवांगन की रचना : बिल्ली मौसी



बिल्ली मौसी 

म्याँऊ करते बिल्ली आई।


लगी चाटने दूध मलाई ।


डंडा लेकर मौसी आई ।


बिल्ली को वह खूब दौड़ाई ।


जान बचाकर भागी बिल्ली ।


देखकर चूहा उड़ाये खिल्ली ।


भागते भागते थक गई बिल्ली ।


पहुँच गई वह सीधी दिल्ली । 









महेन्द्र देवांगन "माटी"

पंडरिया छत्तीसगढ़ 

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