एक नई पहल
हमारे घर की सुबह बहुत शांतिप्रिय और सुंदर होती है। गैस पर खाना पकाती हुई मेरी माॅं बहुत प्रसन्न होती है, परंतु हमारे घर के सामने रहने वाले उस परिवार के सदस्यों का व उस माॅं का क्या ? जो उस लकड़ियों के चूल्हे पर रोज़ सुबह खाना बनाती है। हमारे घर के पास,, । एक छोटी सी झोंपड़ी में पाॅंच लोगों का परिवार रहता है, उस परिवार में मेरी ही उम्र की साॅंवली नाम की एक लड़की भी रहती है। वह मेरी अच्छी दोस्त बन गई है, उसी ने बताया कि उनके पास इतने पैसे नहीं कि वह सिलेंडर खरीद सकें इसलिए उसकी माॅं चूल्हे पर ही खाना बनाती है। साॅंवली और उसकी माॅं दोनो मिलकर चूल्हे पर खाना बनाती हैं परंतु उन्हें यह ज्ञात नहीं कि इसके बहुत से नुकसान हैं। चूल्हे पर बनने वाला खाना तो शुद्ध व स्वास्थ्यवर्धक होता है परंतु इसे बनाने वाले का स्वास्थ्य संकट में आ जाता है। लकड़ी के चूल्हे से निकलने वाला धुआँ , हानिकारक रसायन, अस्थमा, ट्यूबरोक्लोसिस जैसी बीमारियों को जन्म देता है । उन्हें ज्ञात ही नहीं कि वे अपने घर की आग में स्वयं जल रहे है। चूल्हा जलाने के लिए वे लकड़ियाॅं काटते हैं जिससे हमारे पर्यावरण को भी नुकसान होता है। मुझे लगा कि मुझे उस परिवार को इस आग से बचाना चाहिए और पर्यावरण को बचाने में भी अपना सहयोग देना चाहिए इसलिए मैंने उन्हें हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा चलाई गई ˝उज्ज्वला योजना˝ के बारे में बताया। उज्ज्वला योजना के बारे में सुनकर उस परिवार को बहुत खुशी हुई, उन्होंने अपने परिवार की सुख शांति और अच्छे स्वास्थ्य के लिए लकड़ी का चूल्हा जलाना छोड़ा और उज्ज्वला योजना के अंतर्गत गैस का सिलेंडर प्राप्त किया। अब मेरी दोस्त साॅंवली और उसका परिवार साथ ही हमारा पर्याावरण भी सुरक्षित है।
गुंजिका कौशिक
कक्षा - नौ (ब)
एमिटी इंटरनेशनल स्कूल
सैक्टर-46, गुड़गाॅंव
वाहहहहहहहहह
जवाब देंहटाएंहहहहहहहहह
वावववववववहहहहहहह
जवाब देंहटाएंहहहहहहह
Bahut sunder ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना!
जवाब देंहटाएंबधाई, गुंजिका!
अच्छी रचना!
जवाब देंहटाएंबधाई, गुंजिका!