मां सरस्वती जी की जय
प्रिय पाठकों
आप सभी का अपनी और "नाना की पिटारी" की ओर से हार्दिक स्वागत है। 4 फरवरी को आपकी पत्रिका ' नाना की पिटारी ' के अंतर्जाल पर प्रकाशित होते हुए 3 वर्ष पूरे हो गए थे पिछले तीन वर्षो की यात्रा में नाना की पिटारी ने, लगभग 525 , पठन सामग्री प्रकाशित किया था । इनमे बालगीत, बालकथाएँ ,चुटकुले ,पहेलियों के अलावा ज्ञानवर्धक और मनोरंजक अन्य सामग्रियां भी सम्मिलित रहीं हैं। लेकिन जैसा कि आप सबको विदित है किन्हीं तकनीकी कारण से वह सभी कृतियां अंतर्जाल से लुप्त हो गई थी।. हमने पीछे मुड़ कर नहीं देखा कि हमने क्या खोया और आप सबके प्यार के दम पर आगे चलते जा रहे हैं।
हमे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है बाल साहित्य लेखन में राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त रचनाकार सर्वश्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव, डॉ प्रदीप शुक्ला भाई शादाब आलम जी तथा उपासना बेहार जी की रचनाएँ हम लगातार प्रकाशित करते रहे हैं वही नये रचनाकारों श्रीमती मधु त्यागी जी, भाई महेंद्र देवांगन , कुमारी प्रिया देवांगन प्रियू, भुवन बिष्ट जी आदि की रचनाओं ने नाना की पिटारी को सुशोभित किया है हम सभी रचना कारो को धन्यवाद ज्ञापित करते हैं ।
हिन्दी लेखन की और हम संकल्पित हैं परन्तु आजकल बहुत बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ते हैं उनकी रचनात्मक प्रतिभा को निखारने के लिए उन्हें भी सुयोग प्रदान करना है अतः हमने अंग्रेजी की अच्छी रचनाओं को भी इस पत्रिका में सम्मिलित करने का निर्णय लिया है । इस क्रम में हमारी पत्रिका में काफी समय से लिखती रही कयियत्री श्रीमती सपना मांगलिक जी के सुपुत्र सारांश की कविता Lucky Bamboo से प्रारंभ कर रहे है।.
अंत मे सभी पाठकों और शुभेक्षकों से निवेदन है कि इस पत्रिका के लिंक को ईमेल , फेसबुक और वाट्सएप में शेयर करके अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ताकि इस निशुल्क पत्रिका का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके।
धन्यवाद
शरद कुमार श्रीवास्तव
संपादक
शरद जी!
जवाब देंहटाएंनमस्कार!
बाल रचनाओं को भी स्थान देकर उनकी प्रतिभा को सम्मान मिलेगा और प्रोत्साहन भी । स्तुत्य प्रयास!
शरद जी!
जवाब देंहटाएंनमस्कार!
बाल रचनाओं को भी स्थान देकर उनकी प्रतिभा को सम्मान मिलेगा और प्रोत्साहन भी । स्तुत्य प्रयास!