बचपन होता है बड़ा सुहाना,
झूमना, गाना और मौज उड़ाना।
खेल-खेल कर मिट्टी में,
डाॅंट के बाद फिर -
माॅं के हाथ से खाना खाना।
बचपन होता है बड़ा सुहाना.......
डाॅंट डपटकर फिर माॅं का,
लाड प्यार से हमें समझाना।
समझाकर बहलाकर और नहलाकर ,
मनचाहा फिर खाना खिलाना।
बचपन होता है बड़ा सुहाना.............
पापा का वो शाम को आना,
ढेर सारी चीजें. लाना।
दादी संग फिर पार्क जाना,
खूब खेलना और शोर मचाना।
बचपन होता है बड़ा सुहाना........
थक हार कर खाना खाकर,
माॅं के आॅंचल में छिप जाना।
लोरी सुनते -सुनते गोद में,
परियों की दुनिया में खो जाना,
बचपन होता है बड़ा सुहाना ............
काश मैं दोबारा बचपन में पहुॅंच जाऊॅं ,
कागज की नाव बनाकर पानी में चलाऊॅं।
हे ईश्वर बस बचपन ही रखना,
क्योंकि बचपन होता है बड़ा सुहाना..........
- सुनीता देवी
एमिटी इंटरनेशनल स्कूल
सैक्टर -46, गुड़गाॅंव
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