बुरी संगत का फल
एक हँस और एक कौवा एक पेड़ पर साथ ही साथ रहते थे। हँस स्वभाव से शील, सज्जन और दूसरों के दुःख दर्द मे उसको देने वाला था, लेकिन कौवा उसके बिलकुल विपरीत स्वभाव वाला और दुष्ट था। जंगल के सब लोग हँस की बड़ाई करते थे तो कौवा इस बात से भी चिढ़ता था।
एक दिन धूप बहुत तेज़ निकली थी। जिस पेड़ के ऊपर कौवा और हँस रहते थे, उसी पेड़ के नीचे एक शिकारी आया। वह बहुत थक गया था । इस लिए पेड़ के नीचे आराम करने लेट गया। थोडी देर में उसे नींद आ गयी। तभी सूरज की तेज किरणे उसके चेहरे पर पड़ने लगी। यह देख के हँस से नहीं रहा गया। दया वश उसने अपने दोनों पंखों को खोल कर उस शिकारी के चेहरे पर छाया कर दी। दुष्ट प्रकृति का कौवा हंस के इस व्यव्हार को देख कर जल भुन गया और नीचे उड़ता हुआ वह शिकारी के मुँह पर बीट (potty ) करके भाग गया।
शिकारी की नींद टूट गयी। अपने मुहँ पर बीट पड़ी देख कर वह गुस्सा हो गया। उसने ऊपर मुहँ उठाकर देखा तो हँस अपना पंख फैलाये हुए था। शिकारी ने समझा की यह बीट इसी हँस ने ही की है इसलिए उसने अपना धनुष -बाण निकाल कर हंस को मार गिराया।
इसीलिए कहते हैं कि जो लोग दुष्टों की संगत में रहते हैं वे सदा इसी प्रकार नुकसान उठाते हैं.
शरद कुमार श्रीवास्तव
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